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दक्षिण दिशा में है घर का एंट्रेंस तो इन उपायों से कम कर सकते हैं वास्तुदोष

घर का मुख्य द्वार दक्षिण दिशा में होना एक बड़ा वास्तुदोष माना जाता है लेकिन घर को तो कोई बदल नहीं सकता। ऐसे में आप कुछ असरदाय उपाय करके दक्षिण दिशा के दोष को काफी कम कर सकते हैं। दरअसल हिंदू मान्यताओं में दक्षिण दिशा को यम की दिशा माना जाता है। यह दिशा मृत्यु, विनाश और हानि की प्रतीक मानी जाती है। इस दिशा में नकारात्मक ऊर्जा की भरमार होती है। यही वजह है कि दक्षिण दिशा में घर का मुख्य द्वार खुलना वास्तु में दोषपूर्ण माना जाता है। तो ऐसे में कुछ आसान से उपायों को आजमाकर आप दक्षिण दिशा के वास्तु दोष से मुक्ति पा सकते हैं। नीचे बताए गए उपायों को आजमाकर देखिए, आपको बड़ी राहत मिलेगी।

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अगर आपका घर भी दक्षिणमुखी है तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है। कुछ विशेष और सरल वास्तु उपायों से आप दक्षिणमुखी घर के दोषों को कम कर सकते हैं और सकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित कर सकते हैं।

मुख्य द्वार पर लाल रंग का स्वास्तिक, ऊं और त्रिशूल बनाएं
हर शनिवार या मंगलवार को पीपल की लकड़ी से बनी कलम से गेरुए मिश्रण यानी कि गेरू, सिंदूर और घी के मिश्रण से मुख्य द्वार पर ऊपर या दोनों ओर स्वास्तिक, ऊँ, और त्रिशूल के चिन्ह बनाएं। यह कार्य सूर्योदय के बाद करें और इस मंत्र जपें।

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ओम नम: शिवाय या फिर ह्रीं क्लीं शनैश्चराय नम:
इस उपाय को करने से दक्षिणमुखी द्वार से आने वाली तीव्र और गर्म ऊर्जा नियंत्रित होती है। घर में धन, स्वास्थ्य और संबंधों की सुरक्षा होती है और साथ ही स्वास्तिक नकारात्मक शक्तियों और अपशकुन को अंदर आने से रोकता है।

दक्षिण द्वार के दोनों ओर तुलसी का पौधा लगाएं
यदि आपके द्वार के दोनों ओर थोड़ी सी जगह है तो वहां तुलसी, शमी या आंवले का पौधा लगाएं। अगर कच्ची जमीन नहीं है तो गमले में भी लगा सकते हैं। तुलसी को रोज जल दें और दीपक जलाएं। ये पौधे दक्षिण की रौद्र ऊर्जा को सत्वगुण में परिवर्तित करते हैं। ऐसा करने से घर में संतुलन, समृद्धि और मानसिक शांति बनी रहती है। वास्तुदोष के कारण उत्पन्न होने वाली शारीरिक और मानसिक समस्याएं शांत होती हैं। इन पौधों को दैवीय माना जाता है, जो कि आपके घर के लिए सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं।

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मुख्य द्वार पर लोहे या तांबे का वास्तु पिरामिड लगाएं
दक्षिणमुखी घर में प्रवेश द्वार के ठीक ऊपर ताम्र या तांबे का वास्तु पिरामिड लगाएं। साथ ही ओम नम: शिवाय लिखा हुआ ताम्र यंत्र या पत्थर भी लगाया जा सकता है। इसे लगाने से पहले पवित्र जल से शुद्ध करें और पूजा करें। यह उपाय घर के अंदर उलझन, भय, नुकसान और बार-बार के विवाद को रोकता है। नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश रुकता है और शुभ ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है। इससे आपके घर की बुरी नजर नहीं लगेगी।

पंचमुखी हनुमानजी की तस्वीर या यंत्र द्वार पर लगाएं
दक्षिण दिशा पर शनि, यम और राहु जैसे ग्रहों का प्रभाव अधिक होता है। पंचमुखी हनुमानजी दक्षिण दिशा के सभी दोषों से रक्षा करते हैं। द्वार के ऊपर या द्वार के सामने की दीवार पर पंचमुखी हनुमानजी की तस्वीर या यंत्र लगाएं। हर मंगलवार और शनिवार को सरसों के तेल का दीपक जलाकर हं हनुमते नम: मंत्र का जप करें। इस उपाय को करने से शत्रु बाधा, तंत्र-मंत्र प्रभाव, दरिद्रता और भय से रक्षा होती है। घर में धैर्य, साहस और सुख-शांति बढ़ती है। दक्षिण दिशा की गर्म और असंतुलित ऊर्जा संतुलित होती है।

काली मिर्च और राई का टोटका
शनिवार के दिन 7 साबुत काली मिर्च, 1 चुटकी राई और थोड़ा काला नमक लेकर घर के मुख्य द्वार के दोनों किनारों पर छिडक़ दें या थोड़ी मिट्टी में दबा दें। अगले दिन इसे झाड़ू लगाकर घर से बाहर फेंक दें। इस उपाय को करने से घर में फैले हुए नजर दोष, शनि दोष और अदृश्य बाधाएं दूर होती हैं। आर्थिक लाभ में आ रही रुकावट, अकारण खर्च और दरिद्रता दूर होती है। दक्षिणमुखी दोष के कारण घर में आ रही मानसिक अशांति दूर होती है।

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