गोपाल मंदिर के सामने टूटने लगा रीगल टॉकीज का पुराना भवन

आग लगने के छह माह बाद आया पत्र, कहा था बुझा दो…
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मिट जाएगा बरसों पुराना इतिहास… बनेगा कमर्शियल कॉम्प्लेक्स
अक्षरविश्व न्यूज|उज्जैन। शहर के प्रसिद्ध गोपाल मंदिर के सामने बना ऐतिहासिक रीगल टॉकीज भवन अब केवल चित्रों में एक इतिहास बनकर रह जाएगा। नगर निगम ने इस भवन को तोडऩे का काम शुरू कर दिया है। इसकी जगह 25.14 करोड़ लागत का कमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाया जाएगा। भवन के टूटने के साथ ही बरसों पुराना इतिहास मिट जाएगा। यह भवन अपने आप में कई यादों को संजोए हुए है।
पढि़ए एक स्पेशल स्टोरी…
किसी जमाने में शहर की शान रहा रीगल टॉकीज भवन का अब नामोनिशान मिट जाएगा। नगर निगम की योजना के तहत यहां कमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाने के लिए इसे तोडऩा शुरू कर दिया गया है। आजादी से पहले बने इस भवन से शहर के बुजुर्गों की यादें जुड़ी हुई हैं। कई लोगों ने अपने जमाने की फिल्में इसी टॉकीज में देखी हैं।
इंदौर के रीगल टॉकीज से प्रभावित होकर उज्जैन में रीगल टॉकीज की स्थापना की गई थी। इससे पहले इसका नाम शरद टॉकीज रखा गया था। शुरू में यह ड्रामा हाल था और बाद में टॉकीज में बदल गया। कहते हैं 1934 में इसकी स्थापना हुई थी। इस हिसाब से यह 91 साल पुरानी बिल्डिंग है। उज्जैन के बुजुर्ग बताते हैं कि सबसे पहले कैलाश टॉकीज शुरू हुआ था। रीगल टॉकीज दूसरा था। वे बताते हैं कि यहां फिल्म देखना एक अलग अनुभव होता था।
बायजाबाई की हवेली थी, रोचक किस्सा सुन दंग रह जाएंगे…
किसी जमाने में यह भवन जहां नगर निगम का मुख्यालय था, वहां जीवाजीराव सिंधिया की बहन बायजाबाई की हवेली थी। उन्होंने ही 19वीं सदी में गोपाल मंदिर का निर्माण कराया था। सिंधिया रियासत काल में रीगल टॉकीज की जगह ड्रामा हाल था। यहां ड्रामे और नृत्य होते थे। इस हवेली (पुराना नगर निगम भवन जो रीगल टॉकीज के पीछे था) से जुड़ा रोचक किस्सा यह है कि एक बार 1947 में आग लग गई थी। इसको लेकर ग्वालियर में पत्र पहुंचा था कि हवेली में आग लग गई है। कहते हैं छह माह बाद पत्र का जवाब आया था कि आग बुझा दी जाए।
बाबा रामदेव फिल्म देखी थी
नागेश्वरधाम निवासी 72 वर्षीय भवरसिंह ठाकुर कहते हैं रीगल टॉकीज उस समय बड़ा मशहूर था। बाबा रामदेव फिल्म लगी थी तब मैंने देखी थी। वैसे तो कई फिल्में देखी लेकिन यह बड़ी पुरानी थी। इससे जुड़ी यादें आज भी ताजा हैं। आज भी मैं नित्य संध्या गोपाल मंदिर दर्शन करने जाता हूं।
शोले जैसी चर्चित फिल्में लगी थीं
2008 में लीज विवाद के बाद नगर निगम ने लीज समाप्त कर दी थी। नगर निगम का प्रशासनिक भवन भी इसके पिछले हिस्से में ही संचालित होता था। बाद में इसे आगर रोड स्थित नए भवन में शिफ्ट किया गया था। शोले जैसी चर्चित फिल्में इसी टॉकीज में प्रदर्शित की गई थीं।