वागर्चन के साथ अभा कालिदास समारोह का आगाज

मां गढक़ालिका मंदिर पर 270 बटुकों ने श्यामलादंडकम् पाठ किया और करीब 700 विद्यार्थियों ने की माता की स्तुति
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शुभारंभ 1 नवंबर को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव करेंगे, कल निकलेगी कलश यात्रा
अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। महाकाल कालिदास की आराध्या मां गढक़ालिका मंदिर से गुरुवार को कालिदास समारोह का आगाज हो गया। मंदिर प्रांगण में वागर्चन के जरिए माता की स्तुति की गई। नृत्य आराधना के जरिए कलाअर्चना हुई। कल शुक्रवार को शिप्रा तट से कलश यात्रा निकाली जाएगी।
कालिदास समारोह के इतिहास में पहली बार गढक़ालिका मंदिर पर 270 बटुक मां की आराधना के लिए पहुंचे। राष्ट्रीय आदर्श वेदविद्यालय प्राध्यापक सौरभ नौटियाल के नेतृत्व में आए बटुकों ने मंदिर प्रांगण में श्यामलादंडकम् का पाठ किया। विभिन्न स्कूलों के करीब 700 विद्यार्थियों ने देवी की स्तुति की।
कार्यक्रम गुरुवार सुबह ठीक 9 बजे प्रारंभ हुआ। मंदिर प्रांगण में बैठे बटुकों ने जब संस्कृत में मंत्रोच्चार प्रारंभ किया तो पूरा माहौल महाकवि कालिदास मय हो गया। अंदर बटुकों का वागार्चन और मंदिर के बाहर विद्यार्थियों द्वारा स्तुति एक अनोखा समागम था। इस अवसर पर नृत्य निर्देशिका डॉ. खुशबू पांचाल के निर्देशन में नृत्याराधना मंदिर संस्थान के कलाकारों ने देवी समर्पणम् नृत्य नाटिका और नृत्यों के माध्यम से महाकवि कालिदास की जीवन गाथा को प्रस्तुत किया।
शुभारंभ 1 नवंबर को होगा
सम्राट विक्रमादित्य विवि और कालिदास संस्कृत अकादमी द्वारा आयोजित अभा कालिदास समारोह का शुभारंभ 1 नवंबर को सीएम डॉ. मोहन यादव करेंगे। आयोजन 7 नवंबर तक चलेगा। इसमें राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के चार सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिनमें देश के विभिन्न राज्यों के विद्वान महाकवि कालिदास साहित्य के विविध आयामों पर मंथन, कालिदास की कला, सौंदर्य दृष्टि, युग परिवेश, सैन्य अभियान से लेकर रचनाओं के प्रामाणिक पाठ और ऐतिहासिकता पर विशेष व्याख्यान देंगे।
कालिदास समारोह में संत सम्मेलन भी होना चाहिए: शांतिस्वरूपानंद
वागार्चन के मुख्य अतिथि महामंडलेश्वर शांतिस्वरूपानंद महाराज ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा उज्जयिनी धर्म नगरी भी है। कालिदास समारोह विद्वतजनों का आयोजन है। इसमें संतों की सहभागिता भी होना चाहिए और आयोजन में संत सम्मेलन भी किया जाना चाहिए। कार्यक्रम में अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महानगर कार्यवाहक पारस गेहलोत, भगवती लाल राजपुरोहित, कालिदास समारोह केंद्रीय समिति सदस्य श्रीपाद जोशी, राजेश सिंह कुशवाह, सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज, कुलानुशासक शैलेंद्र कुमार शर्मा, महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. शिवशंकर मिश्र, डॉ. रमन सोलंकी, जिला शिक्षा अधिकारी आनंद शर्मा आदि मौजूद थे।
अकादमी से निकलकर शहर में आ गया कालिदास समारोह
का लिदास संस्कृत अकादमी के निदेशक डॉ. गोविंद गंधे ने संबोधित करते हुए कहा कि अब कालिदास समारोह अकादमी से निकलकर शहर में आ गया है। पहली बार इतने बटुक और स्कूली विद्यार्थियों की सहभागिता इसमें हो रही है। लोगों को जोडऩे के उद्देश्य से शुक्रवार को नगर में एक शोभायात्रा भी निकाली जा रही है जो सुबह रामघाट से प्रारंभ होकर शहर के विभिन्न मार्गों से होती हुई अकादमी पर जाकर समाप्त होगी। नगर के विभिन्न समाजजन जगह-जगह यात्रा का स्वागत करेंगे। यह प्रयास आम लोगों को महाकवि कालिदास से जोडऩे में बेहतर भूमिका निभाएगा।









