चेयर रेस: इंजीनियरिंग कॉलेज में डॉ. श्रीवास्तव फिर से प्राचार्य, डॉ. पेंढारकर की पिटीशन खारिज

अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज में प्राचार्य पद की कुर्सी के लिए चल रही दौड़ में एक बार फिर डॉ. जेके श्रीवास्तव ने बाजी मार ली है। सुप्रीम कोर्ट ने जेके श्रीवास्तव के पक्ष में दिए हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है। सर्वोच्च कोर्ट ने डॉ. उमेश पेंढारकर की पिटीशन खारिज कर दी है। आदेश के बाद एक बार फिर से डॉ. श्रीवास्तव ने प्राचार्य का पद संभाल लिया है।
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सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में प्राचार्य पद की लड़ाई करीब तीन साल से चल रही है। यहां डॉ. जेके श्रीवास्तव प्राचार्य के पद पर थे। राज्यशासन ने उनकी जगह डॉ. उमेश पेंढारकर को प्राचार्य बनाने का आदेश जारी किया था। यह आदेश उपसचिव ने दिया था। इंजीनियरिंग कॉलेज में प्राचार्य की नियुक्ति करने का अधिकार राज्यपाल को है और उपसचिव के आदेश में इसका जिक्र नहीं था।
इस आदेश को डॉ. जेके श्रीवास्तव ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी और डबल बेंच ने उनकी अपील को ठीक मानते हुए उनके पक्ष में फैसला दिया था। डबल बेंच के फैसले के खिलाफ डॉ. उमेश पेंढारकर सुप्रीमकोर्ट चले गए थे और वहां से स्टे ले आए थे और प्राचार्य का पद संभाल लिया था। डॉ. पेंढारकर की पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय करोल और नोगमेकम कोटेश्वर सिंह ने सुनवाई की और याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट की डबल बेंच का फैसला ठीक है। चूंकि मामला राज्य का है, इसलिए पिटीशनर को वहीं जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद डॉ. जेके श्रीवास्तव ने प्राचार्य का पद फिर से संभाल लिया।
अभा विद्यार्थी परिषद ने खोला था मोर्चा
प्राचार्य पद पर डॉ. जेके श्रीवास्तव की नियुक्ति के बाद एक बार फिर राजनीति गरमाने के आसार हैं। श्रीवास्तव के कार्यकाल केा लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की महानगर इकाई ने हाल ही में अनिश्चितकालीन धरना दिया था। एबीवीपी पदाधिकारियों ने डॉ. श्रीवास्तव पर आर्थिक अनियमितता के गंभीर आरोप लगाए थे। महानगर मंत्री सिद्धार्थ यादव की अगुवाई में हुआ यह धरना प्रदर्शन करीब ५० घंटे से ज्यादा चला था। यादव ने बताया कि उनके संगठन की लड़ाई अभी भी जारी है। शासन स्तर पर प्राचार्य डॉ. श्रीवास्तव का मसला विचाराधीन है। हम निर्णय का इंतजार कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को ठीक माना है। पिटीशन खारिज कर दी है। इंजीनियरिंग कॉलेज में नियुक्ति राज्यपाल के आदेश से ही हो सकती है, उपसचिव के नहीं। सीनियर होने के नाते ही मुझे प्राचार्य बनाया गया था।
डॉ. जेके श्रीवास्तव, प्राचार्य शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज









