स्ट्रीट डॉग कंट्रोल की प्लानिंग नहीं, शिक्षिका को नोंच दिया

सुप्रीम आदेश कुत्तों को स्कूल अस्पताल-बस स्टैंड से बाहर करो
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देवासगेट बस स्टैंड और चरक अस्पताल में घूम रहे स्ट्रीट डॉग
अक्षरविश्व न्यूज|उज्जैन। एक ओर से सुप्रीम कोर्ट कह रहा है कि स्ट्रीट डॉग को स्कूल-कॉलेज, अस्पताल, बस स्टैंड आदि सार्वजनिक स्थलों से बाहर करो, दूसरी स्ट्रीट डॉग कंट्रोल के लिए जिम्मेदारों के पास कोई प्लानिंग नहीं है। इसी बीच एक शिक्षिका पर स्ट्रीट डॉग्स द्वारा हमला करने की घटना भी सामने आई है। जिसमें शिक्षिकों को कई जगह नोंचकर कुत्तों ने घायल कर दिया।
शिक्षिका पर हमले की घटना शनिवार दोपहर प्रकाश नगर में हुई है। बंगाली कॉलोनी में रहने वाली अपूर्वा देवनाथ निजी स्कूल में शिक्षिका हैं। शनिवार दोपहर करीब पौने तीन बजे वह तीन बत्ती चौराहे पर ई-रिक्शा से उतरी थीं और शार्टकट लेते हुए पैदल प्रकाश नगर होते हुए घर जा रही थीं। प्रकाश नगर में अपूर्वा पर चार-पांच कुत्तों ने अचानक से हमला कर दिया और उनके पैरों में कई जगह नोंच लिया। अपूर्वा के शोर मचाने पर आसपास के रहवासियों ने उन्हें बचाया। सूचना मिलने पर परिजन मौके पर पहुंचे और अपूर्वा को लेकर चरक अस्पताल पहुंचे जहां उनका इलाज किया गया।
शनिवार को ही 12 लोगों को काटा
स्ट्रीट डॉग के काटने से शनिवार को ही चरक अस्पताल में करीब 12 मामले सामने आए हैं।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को स्कूल, अस्पताल, हाईवे, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, खेल परिसरों से आवारा कुत्ते हटाने का आदेश दिया है। इसके लिए आठ सप्ताह का समय भी स्थानीय प्रशासन को दिया है।
10 माह में 8 हजार से अधिक शिकार
जनवरी से अक्टूबर तक १० महीने में ८हजार से ज्यादा डॉग बाइट के मामले चरक अस्पताल मेें पहुंचे हैं। इसके अलावा ऐसे भी कई लोग हैं जिन्होंने निजी अस्पतालों मेें इलाज करवाया है। उन लोगों की संख्या इसमें शामिल नहीं है। जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते डॉग बाइट के मामले लगातार बढ़ रहे हैं लेकिन फिर भी किसी का ध्यान नहीं।
अक्षरविश्व पड़ताल : शेल्टर होम पर सिर्फ नसबंदी, रखने की व्यवस्था नहीं
एक ओर से सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि स्कूल, अस्पताल, हाइवे, रेलवे स्टेशन आदि से स्ट्रीट डॉग हटाकर शेल्टर होम में रखा जाए, जबकि उज्जैन में सदावल रोड स्थित शेल्टर होम (कुत्ता घर) में डॉग के नसबंदी की सुविधा है। चार-पांच दिन यहां रखकर उन्हें वापस उन्हीं जगह छोड़ दिया जाता है जहां से पकडक़र लाए थे।
महीने में 400 डॉग की नसबंदी का टारगेट
डॉग पकडक़र उनकी नसबंदी करने वाली संस्था चेरिटेबल वेलफेयर सोसायटी फॉर ह्यूमन काइंड एंड एनिमल्स के स्थानीय मैनेजर अभिनव सोनी का कहना है वे रोज कुत्तों को पकडक़र यहां लाते हैं। नसबंदी के पास तीन-चार दिन निगरानी में रखते हैं और वापस उसी इलाके में छोड़ देते हैं जहां से पकड़ा है। उन्होंने बताया यहां स्थायी रूप से कुत्तों को रखने की व्यवस्था नहीं है। उनका काम डॉग पकडक़र नसबंदी करना और वापस छोडऩे का है।
नसबंदी से शांत हो जाते हैं डॉग
एनजीओ के डॉ. प्रदीप नायक ने बताया कि नसबंदी के बाद डॉग शांत हो जाते हैं। अटैक नहीं करते, जबकि शहर मेें जिस तरह से डॉग हमला कर रहे हैं उन्हें देखकर नहीं लगता कि नसबंदी के बाद डॉग शांत हुए हैं बल्कि उनकी आक्रामकता और बढ़ी है।
कोर्ट के आदेश का पालन होगा: सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कराएंगे। डॉग नियंत्रण के लिए फिलहाल पकडक़र नसबंदी करने की संख्या और बढ़ाएंगे। सदावल के शेल्टर होम को भी आधुनिक बनाया जा रहा है। – मुकेश टटवाल, महापौर








