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8 साल से शहर को गड्ढों में तब्दील करने वाली टाटा कंपनी ब्लैकलिस्ट

सीवरेज कार्य की धीमी गति के कारण निगम आयुक्त ने लिया कड़ा फैसला

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तीन साल तक प्रदेश में कहीं भी टेंडर नहीं डाल सकेगी कंपनी…

अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। शहर में सीवरेज लाइन के काम में लगातार धीमी गति से कर रही मुंबई की मेसर्स टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड कंपनी को निगमायुक्त अभिलाष मिश्रा ने तीन साल के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया है। इस कार्रवाई का कंपनी पर यह असर होगा कि वह प्रदेशभर में कहीं भी नए टेंडर नहीं ले सकेगी। हालांकि ठेका टर्मिनेट नहीं करने से बचा काम टाटा कंपनी को ही करना होगा।

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शहर की सीवरेज व्यवस्था को बेहतर बनाने के उद्देश्य से टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को 2017 में नगरनिगम ने वर्क ऑर्डर जारी किया था। वर्क ऑर्डर के मुताबिक कंपनी को दो साल में यह काम पूरा करना था। प्रोजेक्ट की डेडलाइन कंपनी और नगरनिगम ने नवंबर 2019 रखी थी, लेकिन पेटी ठेकेदारों को काम सौंपने से कंपनी का काम गति और गुणवत्ता दोनों मामलों में फिसड्डी साबित हुआ। तय समय से छह साल पीछे चल रहा यह प्रोजेक्ट अब तक अधूरा है। नगर निगम की तरफ से कई रिमाइंडर और नोटिस दिए जाने के बावजूद टाटा के अफसर काम की रफ्तार तेज करने में कामयाब नहीं हुए।

अंतिम शोकॉज भी गंभीरता से नहीं लिया, कार्रवाई के अलावा कोई चारा नहीं

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25 अक्टूबर 2025 को ही संभाग आयुक्त, कलेक्टर और निगम आयुक्त ने निर्माण कार्यों के निरीक्षण के दौरान सीवरेज काम की धीमी गति पर काफी नाराजगी जाहिर की थी। इतना ही नहीं टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को अंतिम शोकाज नोटिस भी जारी किया गया था। कंपनी को 10 नवंबर 2025 तक रोजाना 305 से अधिक हाउस सर्विस कनेक्शन और 500 मीटर पाइप बिछाने का टारगेट दिया गया था,लेकिन कंपनी के अफसर इसे पूरा नहीं कर सकें। कंपनी के कमजोर परफॉर्मेंस के कारण सिंहस्थ 2028 के तहत चल रहे सड़क चौड़ीकरण और स्पेशल निर्माण कार्यों में भी बाधा उत्पन्न हो रही थी, ऐसे में कड़ी कार्रवाई करने के अलावा कोई चारा नहीं बचा।

क्या है ब्लैक लिस्ट और टर्मिनेट प्रोसेस- टाटा कंपनी को निगमायुक्त ने ब्लैक लिस्ट किया है। इसका मतलब है कि कंपनी नए टेंडर नहीं ले सकेगी। इसका असर कंपनी के कारोबार पर पड़ेगा। चूंकि कंपनी का ठेका अभी टर्मिनेट नहीं किया गया है, इसलिए सीवरेज का काम टाटा ही पूरा करेगी। अगर ठेका टर्मिनेट कर दिया जाता तो नया टेंडर जारी करना पड़ता और बचा काम दूसरी कंपनी कर सकती थी।

कंपनी ने हर बार बनाए बहाने
टाटा कंपनी ने काम पूरा नहीं होने के लिए कई तरीके के बहाने बनाए। पहले तो उसने लोकल लोगों द्वारा काम नहीं करने देने का हवाला दिया। कभी उसने साइट क्लीयर नहीं होने की बात की। हालांकि उसके बहाने ज्यादा नहीं चले। बीच-बीच में कंपनी पर जुर्माना भी लगाया जाता रहा।

टाटा कंपनी नाकाम रही
टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड ने लगातार काम में देरी की और जरूरी प्रगति हासिल करने में नाकाम रही, जिसके कारण उसे तत्काल प्रभाव से 3 सालों के लिए नगर निगम के कामो से ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है। कंपनी इस अवधि में प्रदेशभर में कहीं भी टेंडर नहीं ले सकेगी।
अभिलाष मिश्रा
निगम आयुक्त

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