पामेचा अस्पताल का लाइसेंस 10 दिन के लिए सस्पेंड, देशमुख के खिलाफ तैयारी

दो निजी अस्पतालों पर चला प्रशासन का डंडा
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उज्जैन। संवेदनशील पेशे में अमानवीय व्यवहार कर रहे कुछ निजी अस्पतालों के खिलाफ जिला प्रशासन ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इस कड़ी में इंदौर रोड स्थित पामेचा अस्पताल का लाइसेंस 10 दिन के लिए सस्पेंड कर दिया है। जबकि देशमुख अस्पताल के खिलाफ जांच जारी है। पामेचा अस्पताल प्रबंधन सस्पेंशन के दौरान नए मरीज भर्ती नहीं कर सकेगा।
सर्द रात में महिला को पति का शव सौंपकर अस्पताल से बाहर करने का लगा था आरोप
पिछले दिनों अकेली महिला को पति का शव सौंपकर रात में अस्पताल से बाहर करने के आरोप के मामले में प्रशासन ने पामेचा अस्पताल पर कार्रवाई की है। अस्पताल का लाइसेंस दस दिनों के लिए सस्पेंड किया है। इस दौरान वे नए मरीज को अस्पताल में भर्ती नहीं कर पाएंगे। इंदौर रोड पर विद्यानगर में स्थित पामेचा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर अस्पताल में शनिवार 22 नवंबर को आगर में रहने वाले एक युवक को हार्टअटैक आया था। गंभीर हालत में उसकी पत्नी उसे आगर के नवजीवन अस्पताल में लेकर गई थी। कार्डियक अरेस्ट गंभीर होने से उसे तत्काल उज्जैन रैफर कर दिया गया था।
महिला पति को पामेचा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में शाम 5 बजे लेकर आई थी। शाम 6.15 बजे मरीज की मौत हो गई। चूंकि, महिला के नजदीकी रिश्तेदार ग्वालियर में रहते हैं, ऐसे में उसने शव अस्पताल में ही रखने का निवेदन किया लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने बॉडी रखने से इनकार कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने शव एंबुलेंस में रखवा दिया। अमानवीय व्यवहार अपनाते हुए अस्पताल प्रबंधन महिला की बात सुनने को तैयार नहीं हुआ। वह रोती-बिलखती सुबह तक प्रतीक्षा करने की बात कहती रही लेकिन उसकी एक नहीं सुनी गई। इस मामले में काफी हंगामा हुआ था। जिसे संज्ञान में लेकर सीएमएचओ ने जांच बैठाई और रिपोर्ट के आधार पर अस्पताल का लाइसेंस दस दिनों के लिए सस्पेंड कर दिया है। इस दौरान अस्पताल में नए मरीजों का इलाज या उनका रजिस्ट्रेशन नहीं हो सकेगा।
पहले से भर्ती मरीजों का हो रहा इलाज शुक्रवार सुबह पामेचा अस्पताल में आम दिनों की ही भांति मरीजों का इलाज चल रहा था। अस्पताल के अंदर मेडिकल स्टोर्स चालू था। डॉक्टर भी मौजूद थे। मरीजों व परिजनों की आवाजाही सामान्य दिनों की तरह ही थी। डॉ. वीरेंद्र पामेचा ने कहा उनके अस्पताल में शुक्रवार को पहले से ही 6 मरीज भर्ती थे। जिनकी देखभाल उनकी जिम्मेदारी है। नए मरीज नहीं ले रहे हैं।
प्रशासन का मनमाना निर्णय
हमारे खिलाफ गलत आरोप लगे थे। बिना जांच के एकतरफा कार्रवाई की गई है। आईएमए के साथ कलेक्टर से मिलकर वस्तुस्थिति बताएंगे। साथ ही एक निष्पक्ष जांच समिति गठित करने की मांग करेंगे। जल्दी ही स्वास्थ्य विभाग का आदेश वापस होगा।
डॉ. वीरेंद्र पामेचा, संचालक, पामेचा सुपर
स्पेशलिटी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर
देशमुख अस्पताल के खिलाफ जांच जारी सीएमएचओ को है रिपोर्ट का इंतजार…
पिछले शुक्रवार को इंदौर रोड स्थित देशमुख हॉस्पिटल प्रबंधन पर पत्नी का गलत उपचार करने के मामले में टीम की रिपोर्ट का इंतजार है। आश्रय होटल के पीछे रहने वाले नितेश पिता नरेंद्र यादव ने बताया कि गर्भवती पत्नी अंजलि यादव का देशमुख अस्पताल संचालक डॉ. स्नेहल देशमुख के मार्गदर्शन में इलाज चल रहा था। डॉ. देशमुख ने नौवें माह के गर्भ के बाद 7 अक्टूबर 2025 को रूटीन चैकअप के दौरान खून की कमी बताकर आयरन के दो इंजेक्शन लगाए। अंजलि की तकलीफ बढऩे लगी। हालत बिगडऩे पर देशमुख हॉस्पिटल में भर्ती करवाया था।
7 अक्टूबर को भर्ती रहने के दौरान रात करीब 9 बजे अंजलि के पेट में ही नवजात शिशु की मौत हो गई। इसकी जानकारी हॉस्पिटल स्टॉफ ने 8 अक्टूबर को सुबह 4 बजे मुझे दी। डॉ. देशमुख को रात में ही ऑपरेशन करना था लेकिन लापरवाही करते हुए सुबह 8.30 बजे यानी करीब 10.30 घंटे बाद ऑपरेशन कर पेट से मृत शिशु को बाहर निकाला गया। इससे अंजलि की हालत और खराब हो गई। डॉ. देशमुख ने इलाज कर 14 अक्टूबर को स्थिति सामान्य बताकर अंजलि को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया जिसका बिल 1.50 लाख लिया। बाद में हालत बिगडऩे पर अंजलि की भी मौत हो गई। देशमुख अस्पताल में बिना टेस्ट के आयरन के इंजेक्शन लगाने का असर अंजलि की किडनी और हार्ट पर हुआ था। चिकित्सकों ने रिकॉर्ड देख गलत तरीके से आयरन इंजेक्शन लगाने और लापरवाही होने का कारण बताया है।
गैरजिम्मेदाराना हरकतों पर कार्रवाई जरूर होगी
जांच रिपोर्ट के आधार पर पामेचा अस्पताल का लाइसेंस १० दिन के लिए सस्पेंड किया है। मरीजों के प्रति संवेदनाशून्य कार्रवाई करने वाले अस्पताल/डॉक्टरों पर कार्रवाई जारी रहेगी। देशमुख अस्पताल के खिलाफ भी पांच सदस्यीय टीम जांच कर रही है। जांच रिपोर्ट आते ही कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. अशोक कुमार पटेल, सीएमएचओ









