शिप्रा नदी को लेकर बदले साधु-संतों के तेवर

रामघाट पर शिप्रा के पानी को लेकर उठाया सवाल सरकार में हलचल
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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। सिंहस्थ 2028 की तैयारियों के बीच अखाड़ा परिषद के साधु संतों ने शिप्रा नदी के पानी की शुद्धता को लेकर अपने तेवर बदल लिए हैं, जिससे उज्जैन प्रशासन में हलचल मच गई है, क्योंकि सरकार शिप्रा को साफ और प्रवाहमान बनाने के लिए करोड़ों रुपए के प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। ऐसे में अचानक अखाड़ा परिषद का शिप्रा नदी के पानी पर सवाल उठाने से हलचल मच गई है।
आने वाले सिंहस्थ के लिए शिप्रा नदी पर सरकार का पूरा फोकस है। पहली बार त्रिवेणी से सिद्धनाथ तक घाट का कॉरिडोर बनाया जा रहा है और खान नदी का प्रदूषित पानी डायवर्ट करने के लिए 700 करोड़ के खान डायवर्शन क्लोज डक्ट प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। इसके अलावा बारिश में शिप्रा नदी का पानी प्रवाहमान बनाए रखने के लिए सेवरखेड़ी सिलारखेड़ी प्रोजेक्ट पर भी काम चल रहा। सेवरखेड़ी बैराज से पानी लिफ्ट कर सिलारखेड़ी डेम में जमा किया जाएगा और आवश्यकतानुसार शिप्रा में छोड़ा जाएगा, जिससे नदी लगातार प्रवाहमान रहेगी और पेयजल की आपूर्ति भी होगी। पिछले सिंहस्थ में नर्मदा का पानी शिप्रा में छोड़ा गया था लेकिन इस बार
शिप्रा के पानी से ही सिंहस्थ के स्नान कराने के लिए काम किया जा रहा। यह प्रोजेक्ट भी 600 करोड़ रुपए का है। यद्यपि साधु संतों की यह चिंता भी सही है कि रामघाट पर शिप्रा का पानी आचमन योग्य नहीं है, किंतु शिप्रा शुद्धिकरण के प्रोजेक्ट पूरे होने के बाद रामघाट के पानी की स्थिति साफ होगी। इससे पहले ही साधु संतों ने अचानक शिप्रा नदी के पानी का मुद्दा क्यों उठाया, इसके कारण प्रशासन द्वारा तलाशे जा रहे। सूत्रों के अनुसार भोपाल में बैठे अफसर भी इसके लिए सवाल जवाब कर रहे। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी जी, महामंत्री हरीगिरी जी और अन्य साधु संतों ने शिप्रा नदी का निरीक्षण कर रामघाट के पानी की शुद्धता पर सवाल उठाया है। सभी ने कहा है कि सिंहस्थ 2028 से पहले शिप्रा का पानी साफ और शुद्ध किया जाए।
शिप्रा नदी पर हो रहा करोड़ों का खर्च
दरअसल, शिप्रा नदी का मुद्दा ऐसा है, जिसे लेकर सरकार और अधिकारियों की घेराबंदी की जा सकती है और दबाव बनाया जा सकता है। शिप्रा को साफ करने पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे। इस बार भी सरकार ने शिप्रा नदी के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी है और परिणाम सामने आने में वक्त लगेगा।
अब समन्वय बैठक बुलाई जा सकती
साधु संतों के बदले तेवर को देख प्रशासन और साधु संतों की समन्वय बैठक बुलाई जा सकती है। यह भी संभव है कि सरकार के मंत्री और साधु संतों के बीच बैठक आयोजित कर शिप्रा नदी को लेकर किए जा रहे कामों पर समन्वय बनाया जा सकता है।
ऐसी पहल अब क्यों नहीं हो सकती?
बरसों पहले संत कमलकिशोर नागर ने आम लोगों के साथ मिलकर शिप्रा नदी को साफ करने का अभियान शुरू किया था। इसी तरह अब भी साधु संतों द्वारा शिप्रा को साफ करने का प्रयास किया जाए तो सिंहस्थ 2028 बेहतर हो सकता है।
अखाड़ा परिषद शिप्रा शुद्धिकरण का आह्वान करेगी
सिंहस्थ में आने वाले लोग अमृत स्नान के लिए आएंगे। ऐसे में शिप्रा जल का शुद्ध होना बहुत जरूरी है। अभा अखाड़ा परिषद इसके लिए पहल करेगी। हालांकि, हमारे पास संसाधन कम हैं, ऐसे में प्रशासन को ही व्यवस्था करना पड़ेगी। शिप्रा का जल बदलने से सफाई नहीं होगी, उसके लिए पानी खाली कर पूरी गंदगी निकालना होगी। यह बड़ा काम है। इसे प्राथमिकता से करना होगा।
– रवींद्र पुरी
अध्यक्ष, अभा अखाड़ा परिषद









