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सिंहस्थ क्षेत्र में यूडीए की स्पिरिचुअल सिटी योजना अब पूरी तरह निरस्त

उज्जैन। सिंहस्थ क्षेत्र में प्रस्तावित उज्जैन विकास प्राधिकरण की स्पिरिचुअल सिटी योजना को नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने मंगलवार रात पूरी तरह कैंसिल कर दिया। पहले योजना की जमीन लेने के लिए लैंड पुलिंग योजना को निरस्त किया गया था लेकिन 11 राजस्व गांव के 1800 से ज्यादा किसान इसके लिए तैयार नहीं थे।

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सिंहस्थ क्षेत्र को पूरी तरह विकसित करने और 2028 में 30 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के आगमन को देखते हुए उज्जैन विकास प्राधिकरण ने करीब 1 साल पहले स्पिरिचुअल सिटी योजना लागू की थी। इन योजनाओं को चार भागों में बांटकर टीडीएस (टाउन डेवलपमेंट स्कीम) 8, 9, 10 और 11 नाम दिया गया था। बडऩगर रोड, खिलचीपुर रोड, अंकपात मार्ग के 11 राजस्व गांव की 2376 हेक्टेयर जमीन पर लैंड पुलिंग के जरिये योजना विकसित होनी थी। लेकिन योजना की स्पष्ट प्लानिंग नहीं होने से किसान लैंड पुलिंग के लिए तैयार नहीं थे।

 

आरएसएस की विंग भारतीय किसान संघ के बड़े पदाधिकारियों के दखल से लैंड पुलिंग निरस्त करने की सहमति बनी और 17 नवंबर को शासन ने लैंड पुलिंग निरस्ती का संशोधित आदेश जारी किया था लेकिन योजना कैंसिल नहीं की थी। इसे लेकर भाकिसं 26 दिसंबर से आंदोलन शुरू करने जा रहा था। विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा ने भी सीएम, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष और संगठन मंत्री को पत्र लिखा था। मंगलवार को नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने उज्जैन विकास प्राधिकरण की प्रस्तावित नगर विकास स्कीम 8, 9, 10 और 11 को निरस्त कर दिया।

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लैंड पुलिंग क्या है: लैंड पुलिंग एक्ट में जमीन पार्टनरशिप में ली जाती है। निर्माण एजेंसी योजना बनाती है और भूमि मालिकों की सहमति से जमीन विकसित करती है। विकसित जमीन को 50 : 50  के अनुपात में एजेंसी और भू-मालिक बांट लेते हैं। इस तरह एजेंसी को जमीन और भू-मालिक को विकसित जमीन मिल जाती है।

यूडीए को लगा पांच करोड़ रुपए का फटका
प्राधिकरण को योजना निरस्त होने से करीब 5 करोड़ रुपए का फटका लगा है। यूडीए ने इसके लिए कंसल्टेंट और प्लानर नियुक्त कर दिए थे, जिनको मोटी फीस दी गई थी। यूडीए प्रशासन ने सारे कामों को एक तरफ रखकर पूरा फोकस इसी योजना पर कर लिया था। इंदौर की एक कंपनी को कंसल्टेंट बनाया था और करीब एक करोड़ रुपए में काम सौंपा था। अहमदाबाद (गुजरात) की एक कंपनी को बतौर प्लानर नियुक्त किया था। जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया के लिए लाखों रुपए की विज्ञप्तियां प्रकाशित की गईं। जानकारों की मानें तो इस कवायद में 5 करोड़ खर्च हो गए।

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4 स्कीम बनी थी
उज्जैन विकास प्राधिकरण योजना को चार भागों में पूरा करने वाला था। इसी लिए उसने योजना को टीडीएस 8, 9, 10 और 11 नाम दिया था। पूरी योजना 2376 हेक्टेयर पर होनी थी।

किसमें थी कितनी जमीन
टीडीएस 8- 1258.057
टीडीएस 9-320.807
टीडीएस 10-377.863
टीडीएस 11-418.95

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