संतों से लेकर सोशल मीडिया तक विरोध
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन बहुचर्चित फिल्म आदिपुरुष देश भर के सिनेमा घरों में रिलीज हो चुकी है। मूवी के विरोध में ट्विटर ,फेसबुक पर मीम की बाढ़ सी आयी है। संतों से लेकर सोशल मीडिया पर फिल्म का विरोध हो रहा है। आम लोगों की प्रतिक्रिया है कि बिना सोचे समझे लिखे डायलॉग और रामायण के असली पात्रों को चरितार्थ करते हुए नकली पात्रों का पहनावा,उस रामायण से दूर दूर तक मेल नहीं खाती जो हमारे मन मस्तिष्क में बचपन से समाया हुआ है। हालात यह है कि कई दर्शक मूवी आधी छोड़कर लौट रहे है।
यह है आपत्तिजन
- अधिकांश संवाद में हिन्दी, संस्कृतनिष्ठ शब्दों में घालमेल के साथ उर्दू शब्दों का उपयोग किया है।
- संवाद तो घटिया है,रावण की हेयर स्टाईल भी छापोरी है।
- रावण के हाथों राम को पीटते दिखाया गया है।
- अशोक वाटिका में भगवान हनुमान को पश्चिमी संस्कृति के अनुसार मुट्ठी बांध सीने पर हाथ रखकर माता सीता को प्रणाम करते दिखाया है।
- संजीवनी के संबंध में कहा गया है कि संजीवनी की पहचान यहीं है कि यह संजीवनी है।
- घायल लक्ष्मण का उपचार महिला वैद्य के द्वारा करना बताया है,जबकि लक्ष्मण का उपचार सुषेण वैद्य ने किया था।
टिप्पणी सोशल मीडिया पर…
सोशल मीडिया के यूजर्स मोहन नरवरिया के अनुसार बचपन की रामायण के लिए दीवानगी इस कदर हावी थी कि जब टीवी पर रामायण धारावाहिक आता था तो लोग दीपक,फूल,अगरबत्ती लेकर टीवी के सामने बैठ जाते थे। धारावाहिक शुरू होते ही श्रीराम जी की जय के साथ देखने बैठते थे। हर पात्र की एक संयमित भाषा थी। हर किरदार में अभिनेताओं ने ऐसी जान फूंकी जो लोगों के दिलों में आज भी जीवंत है। -मोहन नरवरिया
रामायण देखने जाएंगे तो निराश होंगे। रामायण जैसा कुछ नहीं है बस एक ग्राफिक्स से भरपूर फिल्म है, जिसमें एक हीरो है एक हीरोइन है एक विलेन है। थ्री-डी ग्राफिक्स में बढिय़ा एक्शन लड़ाई होती है। विलेन की टीम में एवनेजर्स और गेम आफ थ्रोन्स के कई कैरेक्टर्स भी हैं। सब मिलकर खूब लड़ते हैं। एक समय लगने लगता है कि फिल्म खत्म हो जाए लेकिन होती नहीं है। टपोरी डायलाग के साथ आपत्तिजनक संवाद हैं। – सुमित चौहान
इतनी बोझिल है कि इंटरवल में ही फिल्म छोड़कर आ गया। घटिया संवाद, बोलचाल की हिन्दी और संस्कृतनिष्ठ शब्दों दोनों को घोलमोल दिया। महाघटिया डायलॉग। महाघटिया एक्टिंग। राम-सीता-हनुमान जी की कहानी अपने आप में इमोशनल है, लेकिन इन फिल्म बनाने वालों ने मटियापलीत कर दिया।- श्याम मीर सिंह
संतों का यह है कहना
सनातन परंपरा के प्रमुख ग्रंथ महर्षि वाल्मीकि की रामायण में भाषा,भेष और भोजन के साथ मर्यादाओं का वर्णन भी है। हमारे आराध्य ग्रंथ वर्णित मूल व्यवस्थाओं का मनोरंजन के लिए मंचीय उपयोग उचित नहीं है। भगवान श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम है मां सीता शालीनता भक्ति का मर्यादा का स्वरूप है उनके चरित्र को फूहड़ तरीके से प्रस्तुत करना ठीक नहीं है।-संत उमेशनाथ महाराज
आदिपुरुष के आवरण और आचरण दोनों में मिलावट की गई है। ग्रंथों में प्रभु श्रीराम मां सीता के वेशभूषा के बारे में एकदम स्पष्ट है। बाकी धर्मों की बात पर क्या होता है तुरंत आपत्ति दर्ज हो जाती है। यह एक बहुत बड़ा षड्यंत्र है हिन्दू देवी देवताओं को टारगेट कर पैसा कमाने का।– महामंडलेश्वर स्वामी शैलेषानंद गिरि महाराज
यह घोर आश्चर्य का विषय है पैसा कमाने के लिए भारतीय फि़ल्म के फिल्मकार फिल्में बना रहे है फि़ल्म आदिपुरुष में जगत जननी मां सीता को फूहड़ तरीके से पेश किया गया। जो हिन्दू फि़ल्म को देखेगा उसकी भावनाएं आहत होंगी। जो ग्रंथ मर्यादाओं पर आधारित है,उसका फिल्म में मजाक बनाया गया है। कोई भी फिल्मकार इस प्रकार का दुस्साहस करना बंद कर देवे।-संत अवधेशपुरी महाराज
कतिपय फिल्मकार द्वारा फिल्मों में बार-बार देवी-देवताओं का माखौल उड़ाकर हिंदुओं को भावनाओं को आहत किया जा रहा है। बताया गया है कि राम और हनुमान जी का फिल्म में आवरण और आचरण दोनों ही ग्रंथों के अनुसार नहीं है। ऐसी फिल्म का हर स्तर पर विरोध होना चाहिए।– संत सीताराम दास महाराज।