प्रशासन ने मांगा जमीन की बढ़ी कीमत का सबूत

मामला सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी डेम प्रोजेक्ट का, 21 से बंद है काम
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अक्षरविश्व न्यूज:उज्जैन। सिंहस्थ के दौरान शिप्रा नदी में सतत जल प्रवाह बनाए रखने के लिए तैय्यार की जा रही सेवरखेडी-सिलारखेड़ी जल परियोजना की राह का रोड़ा फिलहाल हटता नहीं दिखाई दे रहा है। 21 नवंबर से ही परियोजना का काम रूका पड़ा है। फिलहाल प्रशासन ने इस परियोजना से प्रभावित किसानों से कहा है कि यदि वे अपनी जमीनों की कीमत अधिक बता रहे है तो इसके लिए साक्ष्य दे। इन साक्ष्यों को शासन के समक्ष रखने के उपरांत ही मुआवजा राशि बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है।
इसी साल मार्च माह में मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी प्रोजेक्ट का काम भूमिपूजन किया था। परियोजना के अहम हिस्से में ग्राम कल्याणपुरा में बैराज का निर्माण 25 प्रतिशत तक पूर्ण भी हो चुका है। जल संग्रहण परियोजना में कल्याणपुरा, सेवरखेडी, सिलारखेडी सहित करीब 13 गांवो के 300 से ज्यादा किसानों की लगभग 400 बीघा जमीन प्रभावित हो रही है। प्रशासन द्वारा किसानों को 13 से 17 लाख 50 हजार रूपए के बीच मुआवजा राशि के प्रकरण तैय्यार किए है जबकि किसानों का तर्क है कि मुआवजे की यह रकम बहुत ही कम है। इस क्षेत्र में जमीन का बाजार मूल्य 50 लाख से लेकर 1 करोड़ रूपए बीघा तक है।
मुआवजा रकम बढ़ाने की मांग करने वाले किसानों ने गत 21 तारीख से ही बैराज निर्माण का काम रूकवा रखा है। सोमवार को कलेक्टर कार्यालय में प्रशासनिक अधिकारियों के साथ डूब प्रभावित किसानों की बैठक हुई। इस बैठक में जैसे ही किसानों ने बाजार मूल्य के आधार पर मुआवजा रकम बढाने की बात रखी, प्रशासनिक अधिकारियों ने उनसे साक्ष्य मांग लिए। कहा कि यदि जमीनों का बाजार मूल्य ज्यादा है तो इसके लिए रजिस्ट्री जैसे कुछ साक्ष्य प्रस्तुत करना होंगे, जिनसे यह साफ हो सके कि वाकई जमीन की कीमत अधिक है। इन्हीं को आधार बनाकर शासन के समक्ष किसानों का पक्ष रखा जा सकेगा।
एक नजर प्रोजेक्ट पर
शिप्रा में सतत जल प्रवाह के लिए सेवरखेडी सिलारखेडी परियोजना बनाई गई है।
इस परियोजना के तहत वर्षाकाल में सेवरखेडी में बने बैराज के जरिए शिप्रा का जल लिफ्ट कर 51 मिली घन मीटर जल को सिलारखेडी जलाशय में संग्रहित किया जाएगा।
संग्रहित जल को आवश्यकता पढने पर 1.80 मीटर व्यास की 7 किमी लंबी पाईप लाइन के जरिए कुआंरिया के समीप पुन: शिप्रा नदी में छोड़ा जा सकेगा।
इस प्रोजेक्ट की लागत 614 करोड़ 53 लाख रूपए है।
किसान भी नहीं चाहते कि सिंहस्थ संबंधी किसी काम में बाधा उत्पन्न हो। हमारी मांग मुआवजा रकम बढाने को लेकर है, हमें उम्मीद है कि जल्द ही इस पर शासन से हमारे पक्ष में निर्णय होगा। दिलीप सिंह सिसौदिया, किसान, कल्याणपुरा









