शिप्रा स्नान करने वालों के कपड़े, रुपए और मोबाइल रोज चोरी हो रहे,
लाउडस्पीकर से अनाउंसमेंट-
बड़ा सवाल- तो क्या उज्जैन पुलिस अपनी जिम्मेदारी निभाने में असफल?
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन। अजय देवगन की फिल्म सिंघम का डॉयलाग है’पुलिस चाहे तो किसी मंदिर के बाहर से एक चप्पल भी चोरी नहीं हो सकती है।’ शायद उज्जैन पुलिस इससे इत्तेफाक नहीं रखती है। तभी तो रामघाट पर यह उद्घोषणा होती रहती है कि श्रद्धालु अपने सामान की सुरक्षा स्वयं करें। प्रतिदिन शिप्रा स्नान करने वालों के कपड़े,रुपए और मोबाइल रोज चोरी हो रहे। इतना ही नहीं की चोरी की शिकायत कराने वालों से पुलिस इतने सवाल करती है कि पीडि़त व्यक्ति आवेदन देकर पुलिस से अपना पीछा छुड़ाने की सोचता है। पुलिस भी एक टाइप किया हुआ,फार्मेट थाम देती है,जिस पर सामान चोरी नहीं गुम होना दर्ज रहता है।
उज्जैन दर्शन के लिए जा रहे हैं तो रहे सावधान, श्रद्धालुओं को चोर बना रहे निशाना। रामघाट पर चोरियों की वारदातों का सिलसिला थम नहीं रहा है। शुक्रवार को शिप्रा नदी में स्नान करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के बैग, कपड़े व मोबाइल रुपए चोरी वारदात हुई है।
चौकी को जैसे कोई मतलब नहीं
रामघाट पर सुरक्षा चौकी बनी हुई है। यहां से ध्वनि विस्तारक यंत्र से चलता रहा है कि श्रद्धालु अपने सामान की सुरक्षा स्वयं करें..। गहरे पानी में नहीं जाए। यह एक दो पुलिसकर्मी-होमगार्ड की ड्यूटी है। इनका काम माईक पर सूचना और चेतावनी देना है। कोई वारदात-घटना होने पर पीडि़त पक्ष की बात सूने बगैर थाने जाने को कहना है।
थाने में ऐसे होती है पूछताछ…
रामघाट पर चोरी का शिकार होने वाला व्यक्ति जब महाकाल थाने पहुंचता है,तो उसकी दूसरी परीक्षा होती है। उससे ऐसे-ऐसे सवाल होते है, जिसकी उसे जानकारी नहीं होती है। पीडि़तों से यह पूछा जाता है…
- आपके साथ कौन-कौन आया है, चोरी हुई तब अन्य लोग कहां थे?
- अपने सामान का ध्यान क्यों नहीं रखा?
- चोरी हुई,तब आप कहां थे?
- किसी को सामान ले जाते देखा,तो उसके कपड़ों कैसे थे, हुलिया कैसा था?
- शिप्रा नहाने में इतने मगन क्यों थे कि सामान चोरी होने का पता ही नहीं चला।
युवक बगैर शिकायत के चला गया
पुलिस की पूछताछ से फरियादी कितना परेशान हो जाता है,यह अनुमान एक वाकिए से लगाया जा सकता है। झालावाड़ निवासी अमित सिंह अपने परिवार के साथ उज्जैन आया था। रामघाट पर उसका सामान चोरी हो गया। शिकायत करने वह थाने गया। पुलिस ने उससे इतनी पूछताछ कर ली कि तंग आकर वह शिकायत करें बगैर ही चला गया।
लो इसमें लिख दो नाम-पता, मोबाइल नंबर और चोरी गया सामान
थाने में तमाम तरह की बाते सुनाने के बाद टाइप किया हुआ एक तैयार फार्मेट थमा दिया जाता है। इसमें नाम-पता,मोबाइल नंबर और गुम (चोरी ) गए सामान की जानकारी भर कर देने को कह दिया जाता है। इस फार्मेट कहीं भी चोरी होना दर्ज नहीं है। इसके स्थान पर गुम होना अंकित है। फरियादी द्वारा जब इस पर सवाल उठाते हुए कहा जाता है कि ‘साब- सामान गुम नहीं चोरी हुआ है। फार्म पर तो गुम लिखा है।’ इसका जवाब पुलिसिया अंदाज में ऐसा मिलता है कि फरियादी चुप रहना ही उचित समझता है।
रामघाट पर समान चोरी के तीन मामले शुक्रवार को सामने आए हैं
1. दिल्ली निवासी राधिका लालचंद का पर्स चोरी हो गया। इसमें करीब १० हजार रु.नगद, मोबाइल और अन्य दस्तावेज थे। महिला अपनी सास के पास समान रखकर शिप्रा में स्नान के लिए गई थी। पर्स चोरी हो गया।
2. रेखा पति सुरेश सीधी निवासी परिवार के साथ रामघाट शिप्रा में स्नान कर रही थी। इस बीच उसका पर्स चोरी हो गया। पर्स में नगद राशि,मोबाइल और अन्य सामान था।
3. सत्यम शिवराम यादव मंडला से परिवार के साथ देव-दर्शन के उज्जैन आए थे। रामघाट पर उनका बैग चोरी हो गया। बैग में कपड़े,नगद राशि मोबाइल अन्य दस्तावेज और सामान था।