बलवा परेड… पुलिस और दंगाइयों के बीच पुलिस लाइन में हुई जबरदस्त भिड़ंत

लठैतों से लाठियां और बंदुकों से बमुश्किल चलीं गोलियां
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आंसू गैस के नहीं खुले गोले, कमांड देना भी नहीं आया
पुलिस ने परखी अपनी तैयारी
पुलिस जवानों को दी नसीहत
दंगाइयों से लडऩा सिखाया
वॉटर फाइटर से पानी बरसाया
अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। पुलिस लाइन में शुक्रवार को बलवा परेड हुई। पुलिस कर्मचारी ही दंगाई और प्रदर्शनकारी बने हुए थे और रात-दिन एक साथ काम करने वाले लाठियों और बंदुकों से लैस उनके साथी सामने थे। यह रंगकर्म की तरह ही था, लेकिन वास्तविक नजर आ रहा था। अधिकारियों ने इस परेड के जरिए अपनी तैयारियों को परख लिया। पता चल गया कि दंगाइयों से लडऩे में यह टीम कितनी सक्षम है। अधिकारियों का गुस्सा बता रहा था कि वे संतुष्ठ नहीं थे। कदम-कदम पर नसीहत दी गई। दंगाई बने पुलिस के जवानों ने भरपूर आनंद लिया। पत्थर किस तरह बरसाए जाते हैं यह करतब भी करके दिखाया।
उद्देश्य
बलवा परेड का उद्देश्य यह था कि यदि शहर में किसी मामले को लेकर बलवा हो जाए तो पुलिस को किस तरह निपटना चाहिए। पहले लाठियों से भगाने की कोशिश की जाए। भीड़ न संभले और उग्र होकर पत्थर बरसाए तो केकड़ा पार्टी किस तरह खुद का बचाव करते हुए उन्हें खदेड़े। इस पर भी हालात न संभले तो आंसू गैस के गोले छोड़े जाएं। भीड़ उग्र हो जाए तो बंदुक चलाएं और फिर वॉटर लारी से पानी बरसाएं।
दृश्य-1
हमारी मांगे पूरी करो
हमारी मांगे पूरी करो के नारे लगाती हुई भीड़ आगे बढ़ती है। कुछ लोगों में उत्तेजना और आक्रोश के भाव नजर आते हैं। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए एक महिला पुलिस अधिकारी कमांड देती हैं। वह बोल ही नहीं पाती हैं। पास खड़े अधिकारी बोलते हैं और कहते हैं मैं जैसा बोल रहा हूं, आप उसे दोहराएं। या फिर लिखा हुआ पढ़ दें। लाठियों से लैस पुलिस दल प्रदर्शनकरियों को खदेडऩे के लिए आगे बढ़ता है। एक अधिकारी गुस्से में कहते हैं, लाठी चला रहे हो झाड़ू लगा रहे हो। अरे भाई, लाठियां चलाओ।
दृश्य-२
तितर-बितर करो
अब प्रदर्शनकारी उग्र हो जाते हैं। वे पत्थर बरसाते हैं। उन्हें खदेडऩे के लिए केकड़ा पार्टी को आगे लाया जाता है। अधिकारी उन पर पूरी नजर रखते हैं। कहते हैं, ठीक से चलो तो सही। इस तरह खुद का बचाव कैसे करोगे? सीधे चलो और आगे बढ़ो। उन्हें तितर-बितर करो। ग्रुप बना कर आगे बढ़ो। एक-एक करके जाओगे तो घिर जाओगे। बचाव दल आगे बढ़ता है और पत्थरबाजों को खदेडऩे में कामयाब हो जाता है।
दृश्य-3
बंदूकधारी की पीठ पर चपत लगाई
अब भीड़ पूरी तैयारी से आती है। वह मरने-मारने पर उतारू हो जाती है। इधर से हेंड माइक सैट से घोषणा होती है पीछे हट जाओ। भीड़ पीछे नहीं हटती है। बंदूकधारियों का दल आगे बढ़ता है। कुछ पुलिसकर्मियों से बंदूक ही नहीं चलती है। एक अधिकारी एक ही पीठ पर चपत लगाते हैं। अब पूरी टीम गोली बरसाती है। एक प्रदर्शनकारी को गोली लगती है। एंबुलेंस आती है। घायल को स्ट्रेचर पर लेटा कर बाहर ले जाया जाता है।
दृश्य-4
अरे, यह तो खुल ही नहीं रहा है
अब एक बार फिर सामने से भीड़ आती है। इधर से आदेश मिलते हैं, आंसू गैस के गोले छोड़े जाएं। कुछ पुलिस के जवान गोले छोड़ते हैं। एक जवान का गोला दस फीट दूर ही गिरता है। चारों तरफ धुएं का गुबार छा जाता है। एक महिला अधिकारी को गोला दिया जाता है। अब आप छोड़ें। वह प्रयास करती हैं। कहती हैं, अरे यह तो खुल ही नहीं रहा है। कैसे खोलूूं? बमुश्किल गोला खुलता है। वह फेंकती हैं और पास में ही गिर जाता है।
दृश्य-5
वॉटर लॉरी का एक पाइप बंद
परेड का यह आखिरी अभ्यास था। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए वॉटर लॉरी बुलाई जाती है। उधर से भीड़ आगे बढ़ती है और इधर से लॉरी। एक ही पाइप चलता है, पानी दूर तक जाता है। भीड़ पीछे हट जाती है। अधिकारी कहते हैं दूसरा पाइप भी देखो। एक जवान उसे ठीक करता है। दोनों पाइप चलने लगते हैं। भीड़ पीछे हट जाती है। हटना ही था, सुबह की ठंड में भला कौन भीगना चाहेगा। परेड खत्म हो जाती है। अब अफसर परेड लेते हैं। कहते हैं, तैयार रहो। तैयारी करो। इस तरह काम नहीं चलेगा।