श्री महाकालेश्वर अन्नक्षेत्र परिसर में सोमयाग-सौमिक सुवृष्टि यज्ञ की शुरुआत

गोबर से लीपा यज्ञ स्थल, मंत्रोच्चार के साथ सोमवल्ली वनस्पति के रस से दीं आहुतियां

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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। भगवान महाकाल की नगरी में गुरुवार सुबह से सोमयाग-सौमिक सुवृष्टि यज्ञ की शुरुआत हुई। इसके लिए दक्षिण भारत के विद्वानों ने सोमवल्ली वनस्पति से रस तैयार किया। इसी रस से प्रवर्गय विधि द्वारा यज्ञ में आहुतियां दी गईं। श्री महाकालेश्वर अन्नक्षेत्र परिसर स्थित श्री महाकालेश्वर अतिथि निवास के पीछे यज्ञ स्थल को पहले गोबर से लीपा गया। इस यज्ञ से मौसम में होने वाले परिवर्तन और वायु गुणवत्ता में होने वाले सुधार को मापने के लिए यज्ञ स्थल के बाहर अत्याधुनिक यंत्र भी लगाए गए हैं। इससे यह पता चल सकेगा कि यज्ञ से पहले और बाद में वातावरण में कितना बदलाव हुआ।

दरअसल, देश में मानसून की अनिश्चितता को समाप्त करने और सुवृष्टि का वातावरण निर्मित करने के लिए शासी परिषद के निर्णय अनुसार १२ ज्योतिर्लिंगों में सोमयज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। यज्ञ का मैनेजमेंट देख रहे श्रीपाद अवधूत ने बताया कि अब तक ६ ज्योतिर्लिंग में यज्ञ हो चुके हैं। गुरुवार को श्री महाकालेश्वर मंदिर और गुजरात के श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग में एक साथ यज्ञ शुरू हुआ जो २९ अप्रैल तक चलेगा। यज्ञ सुबह ८ से दोपहर १ बजे तक और दोपहर ३ से शाम ७ बजे तक किया जा रहा है। इसके बाद बैजनाथ, नागेश्वर, काशी विश्वनाथ और केदारनाथ ज्योतिर्लिंग में सोमयज्ञ होगा। आपको बता दें कि सोमयज्ञ अच्छी बारिश, उन्नत खेती और प्रजा की खुशहाली के लिए किया जाने वाला अनुष्ठान है। सनातन संस्कृति में राजा-महाराजा प्रजा की खुशहाली के लिए यज्ञ करवाते थे।

यज्ञ स्थल के बाहर लगाए यंत्र
सोमयज्ञ से वातावरण में होने वाले बदलाव का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से परीक्षण करवाने के लिए यज्ञ स्थल के बाहर दो तरह के उपकरण लगाए गए हैं जो पर्यावरण प्रदूषण को मापने के काम में आता है। इससे यह पता चल सकेगा कि यज्ञ से पहले और बाद में वातावरण में कितना बदलाव हुआ।

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