मामला : बंद कैदी से अधीक्षक, जेलर द्वारा सायबर ठगी कराने का
उज्जैन। केन्द्रीय जेल भेरूगढ़ में बंद धोखाधड़ी के आरोपी को लेपटॉप, इंटरनेट आदि सुविधा देकर सायबर ठगी के माध्यम से करोड़ों रुपये की हेराफेरी के आरोप जेल अधीक्षक और जेलर पर लगने के बाद दोनों अफसरों का तबादला करने के साथ ही भोपाल सायबर सेल द्वारा एसआईटी का गठन कर जांच शुरू कराई गई, लेकिन डेढ़ साल बीतने के बाद भी एसआईटी की जांच पूरी नहीं हो पाई है।
यह था मामला…
डेढ़ साल पहले केन्द्रीय जेल भेरूगढ़ में बंद सायबर ठग अमर पिता अनंंत अग्रवाल निवासी महाराष्ट्र ने न्यायालय में शिकायत की थी कि जेल अधीक्षक अलका सोनकर, जेलर संतोष लडिय़ा व सहायक जेल अधीक्षक लेपटाप व अन्य सुविधा देकर साउथ कोरिया, सऊदी अरब, कैलिफोनिर्या से अपने खातों में विदेशी करंसी ट्रांसफर करवाते हैं। इस खुलासे के बाद जेल प्रशासन ने अमर अग्रवाल को तुरंत केन्द्रीय जेल भेरूगढ़ से भोपाल जेल ट्रांसफर करवा साथ ही जेल अधीक्षक सोनकर, जेलर लडिय़ा को सस्पेंड करते हुए भोपाल सायबर सेल से एसआईटी का गठन कर जांच शुरू कराई गई।
सिर्फ पूछताछ पर अटकी जांच
एसआईटी के अफसर मामले की जांच शुरू करने के बाद 6 से अधिक बार केन्द्रीय जेल का दौरा कर चुके हैं। इस दौरान उन्होंने जेल से कम्प्यूटर, कुछ दस्तावेज जब्त किये इसके अलावा जेल कर्मियों और जेल में बंद कैदियों से भी अलग-अलग पूछताछ की और जांच जारी रही।
8 जेलकर्मियों से सघन पूछताछ
एसआईटी के अफसर पिछले दिनों फिर उज्जैन पहुंचे और उन्होंने जेलकर्मी संजय व्यास, उज्जवला वाघमारे, ओपी मिश्रा, राकेश राज, संतोष तिवारी, रामसुमिरन मिश्रा, मनोज जायसवाल, प्रहरी पवन धाकड़ से पूछताछ की इसके अलावा बंदियों के भी बयान लिये। इन बंदियों से पूर्व में भी एसआईटी ने पूछताछ की थी।