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पीथमपुर में दफन नहीं होगी भोपाल की जहरीली राख

हाईकोर्ट का आदेश- यूका का जलाया गया जहर, जलस्रोत-मानव बस्ती से दूर ले जाएं

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अक्षरविश्व न्यूज पीथमपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री की 899 टन जहरीली राख का निष्पादन पीथमपुर में न किया जाए। आठ अक्टूबर को जारी आदेश में कोर्ट ने कहा- इस राख को ऐसे स्थान पर ले जाया जाए जहां मानव बस्ती, पेड़-पौधे या जलस्रोत न हों। सरकार द्वारा अब तक उठाए गए कदमों को कोर्ट ने अपर्याप्त बताया है। इस मामले की अगली सुनवाई 20 नवंबर 2025 को की जाएगी।

पिछले दो महीनों में यह दूसरी बार है जब हाईकोर्ट ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। कोर्ट ने सरकार से वैकल्पिक स्थल की रिपोर्ट पेश करने और इस कार्य के लिए अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की मदद लेने पर जवाब मांगा है। अपने आदेश में कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि कंटेनमेंट ढांचा किसी प्राकृतिक आपदा, जैसे भूकंप, में टूट गया, तो यह एक और बड़ी त्रासदी का कारण बन सकता है।

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कोर्ट में दिखाया गया वीडियो
एक याचिका में जानकारी दी गई थी कि राख में अभी भी पारे (मर्करी) की मात्रा निर्धारित सीमा से अधिक पाई गई है। सरकार ने कोर्ट को यह दिखाने के लिए एक एनिमेटेड वीडियो प्रस्तुत किया था कि राख रखने का ढांचा आधुनिक और सुरक्षित है, लेकिन कोर्ट इससे संतुष्ट नहीं हुआ। हाईकोर्ट ने कहा कि यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री को कभी सुरक्षित माना जाता था, लेकिन दिसंबर 1984 की गैस त्रासदी ने सब कुछ बदल दिया, इसलिए अब किसी भी तरह की सावधानी को अत्यधिक नहीं माना जा सकता।

40 साल बाद जलाया गया कचरा
भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड प्लांट में 40 साल से 358 टन जहरीला कचरा पड़ा था। हाईकोर्ट के आदेश पर इसे जनवरी 2025 में पीथमपुर की रामकी एनवायरो नामक कंपनी में भेजा गया था। वहां 55 दिनों तक इसे जलाया गया, जिससे 899 टन राख बनी। अब इसी राख का सुरक्षित तरीके से निपटान किया जाना है। रासायनिक कचरे में शहर में जलाने का शहर के कई संगठनों ने विरोध भी किया था। जिसमें दो युवकों ने अपने आप को जलाने की कोशिश भी की थी।

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