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साक्षात महाकाल के समक्ष शक्ति प्रदर्शन में दोनों दोषी

पुजारी और महंत दोनों 15 दिन के लिए मंदिर में प्रतिबंधित, आम दर्शनार्थी की तरह आ सकेंगे

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उज्जैन। त्रिलोकस्वामी भगवान श्री महाकालेश्वर के सामने गर्भगृह में शक्ति प्रदर्शन करने वाले महंत और पुजारी अब अगले 15 दिन (9 नवंबर) तक मंदिर में विशेष दर्जे के साथ प्रवेश नहीं कर सकेंगे। मंदिर समिति ने इन्हें 15 दिनों के लिए प्रतिबंधित किया है। दर्शन के लिए ये आम श्रद्धालुओं की तरह आ सकते हैं। महाकाल मंदिर के गर्भगृह में बुधवार सुबह मंदिर के पुजारी महेश शर्मा और ऋणमुक्तेश्वर मंदिर के महंत महावीर नाथ के बीच हुए विवाद के मामले में मंदिर समिति ने शनिवार को दोनों को प्रतिबंधित किया है। समिति ने महंत महावीर नाथ और पुजारी महेश गुरु के मंदिर में प्रवेश पर 15 दिनों के लिए प्रतिबंध लगा दिया है।

मामले में मंदिर समिति ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाकर रिपोर्ट मांगी थी। जांच रिपोर्ट के आधार पर यह कार्रवाई की गई है। मंदिर समिति प्रशासक प्रथम कौशिक ने बताया कि जांच टीम ने मौके पर मौजूद कर्मचारी, सीसीटीवी फुटेज को देखकर पाया कि महंत और पुजारी का आचरण और शब्दावली मंदिर की गरिमा के अनुरूप नहीं थे। इस कारण अगले 15 दिनों के लिए उन्हें मंदिर के विशेष मार्गों से प्रतिबंधित किया गया है।

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यह था पूरा मामला
बुधवार सुबह लगभग 8.30 बजे महंत महावीरनाथ अपने साथ दो से तीन लोगों को लेकर महाकाल गर्भगृह में दर्शन के लिए गए थे। उस समय मंदिर के नियमों का हवाला देते हुए पुजारी महेश शर्मा ने उनके सिर पर बंधे कपड़े को लेकर आपत्ति ली थी। इस मुद्दे पर महंत महावीरनाथ और महेश पुजारी के बीच विवाद हो गया। गर्भगृह में तीखी तकरार हुई, अपशब्दों का प्रयोग हुआ और आरोप है कि धक्कामुक्की में महेश पुजारी गर्भगृह में गिर भी गए थे।

विवाद गर्भगृह के बाद नंदी हाल तक पहुंचा। मौके पर मौजूद सुरक्षा कर्मियों और मंदिर समिति कर्मचारियों ने समझाबुझाकर मामला शांत करवाया था। मामले का वीडियो भी वायरल हुआ था। जिसमें महंत और पुजारी दोनों एक-दूसरे से विवाद करते नजर आ रहे थे। घटना के बाद दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की। घटना के बाद दोनों पक्षों में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव कई जगह मामले की शिकायत कर एक-दूसरे पर कार्रवाई की मांग की थी। गोरखनाथ मठ के महंत महावीर नाथ के समर्थन में प्रदेश में देवास सहित अन्य कई शहरों में भी प्रदर्शन हुए थे। इस निर्णय के बारे मेें पुजारी महेश शर्मा और महंत महावीरनाथ से चर्चा की लेकिन वे प्रतिक्रिया से बचते रहे।

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आम आदमी होता तो ताउम्र पाबंदी लग जाती

खुशी की बात है कि पहली बार मंदिर समिति की किसी जांच कमेटी ने तीन दिनों के भीतर ही रिपोर्ट दे दी। अभी तक का रिकार्ड है कि बरसों तक सिर्फ जांच ही चलती रही है। दोनों पक्षों को संतुष्ट करने के इरादे से बनी इस जांच रिपोर्ट सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा कर रही है कि दोषी कौन..?

हाईप्रोफाइल मामले से जुड़ा एक पक्ष सीधे उप्र के मुख्यमंत्री तक पहुंच रखता है तो दूसरा सत्ताधारी पार्टी के वरिष्ठों से। एक ओर संत समाज है तो दूसरी ओर पुजारी। ऐसे में इस कार्रवाई के जरिए मंदिर समिति के जिम्मेदारों ने दोनों पक्षों को फटकार भी लगा दी और पुचकार भी लिया। यह सत्ता संतुलन हो सकता है लेकिन न्याय नहीं। इसके पहले भी मंदिर समिति में कई बार अभद्रता के मामले हुए हैं। जिनमें मारपीट भी नहीं हुई लेकिन घटना से जुड़े लोगों को बिना किसी जांच रिपोर्ट के आजीवन मंदिर से प्रतिबंधित किया गया है।

मीडियाकर्मियों ने भी यह कार्रवाई झेली हैं। मामूली अभद्रता में ही पुजारी प्रतिनिधि को पद से हटाने की कार्रवाई भी कुछ दिनां पहले ही हुई है। उस वक्त शयनआरती के समय पुजारी प्रतिनिधि प्रशांत शर्मा (बबलू गुरू) पर कर्मचारी से अभद्रता और झूमाझटकी के आरोप लगे थे। 11 जून 2025 को मंदिर प्रशासन ने उन्हें महाकाल मंदिर की छवि धूमिल करने के आरोप में मंदिर अधिनियम का हवाला देते हुए पुजारी प्रतिनिधि पद से हटा दिया था।
-हरिओम राय

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