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चल फिर नहीं सकती, लेकिन जीत लिए 3 मेडल

उज्जैन की मनस्विता… व्हील चेयर पर चलने वाली तैराकी में दिखा रही कमाल

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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। तैराकी की दुनिया में मध्यप्रदेश की अंतर्राष्ट्रीय तैराक मनस्विता ने फिर कमाल कर दिखाया है। जो अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो सकती और व्हील चेयर पर चलती है, उसने गुजरात में हुई स्वीमिंग की नेशनल कंपीटिशन में अपने राज्य के लिए वह तीन सिल्वर मेडल झपट लिए।

 

एलपी भार्गव नगर, उज्जैन की 24 वर्षीय मनस्विता तिवारी मिसाल है, क्योंकि सेरेब्रल पाल्सी बीमारी के कारण वह बचपन से चल फिर नहीं सकती लेकिन 3 से 5 अक्टूबर तक नाडियाड (गुजरात) में सेरेब्रल पाल्सी स्पोर्ट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (सीपीएसएफआई) द्वारा आयोजित नेशनल पैरा एथलेटिक्स पेरा स्वीमिंग चैंपियनशिप (2024 ) में 50 मीटर की फ्री स्टाइल, बेकस्टोन और ब्रेकस्टोन कंपीटिशन में तीन सिल्वर मेडल जीते। 18 साल से वह तैराकी कर रही और 17 गोल्ड मेडल जीत चुकी है।

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25 मीटर के पूल में प्रैक्टिस, 50 मीटर में कमाल…
यह मनस्विता का जज्बा ही है कि शहर में तैराकी की प्रैक्टिस 25 मीटर के स्वीमिंग पूल में करती है और नेशनल कंपीटिशन 50 मीटर के पूल में। यही कारण है कि पिछली बार वह तीन गोल्ड मेडल लाई थी और इस बार बड़ा पूल न होने से सिल्वर मेडल ला सकी। वह मध्यप्रदेश से एकमात्र तैराक है जो सेरेब्रल पाल्सी की स्पर्धाओं में भाग लेती है। इस बीमारी के बाद स्वीमिंग करना बेहद कठिन होता है।

मां ने सीखी तैराकी और बना दिया अंतर्राष्ट्रीय तैराक…. माधव विज्ञान महाविद्यालय में पदस्थ मनस्विता की मां कल्पना तिवारी ने उसे स्वीमिंग सिखाने के लिए पहले खुद तैराकी सीखी और फिर उसे सिखाई। आज वह अपनी पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बना चुकी है। पिछले साल वर्ल्ड एबिलिटी गेम थाईलैंड 2023 के लिए सिलेक्शन हुआ था, लेकिन आर्थिक स्थिति अनुकूल न होने के कारण वह जा नहीं सकी। माधव कॉलेज में पदस्थ उसके पिता डॉ. मनोज तिवारी का 2006 में निधन हो गया था।कुदरत की इस मार के बाद भी मां की कल्पना उसके लिए एक नया आसमान तलाश रही थी, जो अब उसके सामने है।

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