प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हाल ही में CCPA (कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स) की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। राजनीतिक गलियारों में इस बैठक को लेकर चर्चा गर्म है, क्योंकि इतिहास इस बात का गवाह रहा है कि जब भी इस उच्चस्तरीय समिति की अचानक बैठक बुलाई जाती है, कोई न कोई बड़ा राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय निर्णय सामने आता है।
याद दिला दें कि फरवरी 2019 में, पुलवामा आतंकी हमले के बाद भी ऐसी ही एक CCPA मीटिंग हुई थी, जिसके ठीक बाद भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक कर पूरी दुनिया को चौंका दिया था। उस समय इस मीटिंग में सुरक्षा, कूटनीति और सैन्य विकल्पों पर गंभीर विचार-विमर्श हुआ था। अब एक बार फिर जब ऐसी ही बैठक होती है, तो देश की जनता, मीडिया और विशेषज्ञ इस पर नज़रें गड़ाए हुए हैं।
इस बार की CCPA मीटिंग में क्या हुआ?
हालांकि इस मीटिंग की आधिकारिक जानकारी अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति और सीमा पार की गतिविधियों पर चर्चा की गई। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि भारत की पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर हालिया तनाव, पाकिस्तान और चीन की गतिविधियाँ, और जम्मू-कश्मीर में बढ़ते ड्रोन अटैक जैसी घटनाएँ केंद्र सरकार की गंभीर चिंता का विषय हैं।इसके अलावा, अफगानिस्तान, ईरान, और मिडल ईस्ट में बदलते हालातों को देखते हुए भारत की कूटनीतिक रणनीति को भी नए सिरे से परिभाषित करने की आवश्यकता महसूस हो रही है। ऐसे में इस मीटिंग को मात्र एक नियमित औपचारिकता समझना भूल हो सकती है।
क्यों है CCPA मीटिंग इतनी अहम?
CCPA भारत सरकार की सबसे प्रभावशाली और गोपनीय समितियों में से एक है। इसमें देश के सबसे वरिष्ठ मंत्री शामिल होते हैं, जैसे कि गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री, और वित्त मंत्री। इस कमेटी के ज़रिए ही राष्ट्रीय सुरक्षा, आपातकालीन सैन्य कार्रवाई, और गंभीर राजनीतिक निर्णयों की मंजूरी दी जाती है।