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मेडिसिटी निर्माण की आवश्यक प्रोसेस प्रारंभ, जिला चिकित्सालय परिसर से मिट्टी के 22 सैंपल लिए

अक्षरविश्व के मंच से 21 जनवरी को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने की थी मेडिसिटी की घोषणा

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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:प्रदेश के मुख्यमंत्री की मंशानुसार उज्जैन में मेडिसिटी को धरातल पर लाने के प्रोसेस प्रारंभ हो गई है। मेडिकल कॉलेज सह-मेडिसिटी के लिए बहुमंजिला भवनों का निर्माण होना है। इसके पूर्व की तैयारी और कार्य की शुरुआत हो चुकी है। इसी क्रम में जिला चिकित्सालय परिसर सहित प्रस्तावित मेडिसिटी की जमीन से मिट्टी परीक्षण के सैंपल लिए गए है।

 

सरकार द्वारा शहर में मेडिकल कॉलेज खोलने की कवायद शुरू कर दी गई है। जिला चिकित्सालय के पुराने भवन का स्थान चयन करने के साथ ही अब उक्त भवन को तोड़कर यहां पर मेडिकल कॉलेज बनाया जाना है। यही कारण है कि भोपाल से अस्पताल परिसर की मिट्टी परीक्षण के लिये टीम को भेजा गया है।

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बता दें कि ‘अक्षरविश्व’ द्वारा 21 जनवरी -2024 को आयोजित ‘रंगसंग ड्राईंग एण्ड पेंटिंग कॉम्पिटीशन’ में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा था कि उज्जैन में मेडिसिटी की स्थापना होगी सीएम यादव ने बताया था कि मेडिसिटी में एक ही परिसर में चिकित्सा की तमाम सुविधाओं के साथ मेडिकल कॉलेज भी होगा प्रारंभिक तौर पर इसके लिए जिला चिकित्सालय परिसर और आसपास के क्षेत्र का चयन किया गया है।

यह है सरकार की योजना

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जिला चिकित्सालय के पुराने भवन को तोड़कर यहां पर सर्वसुविधा युक्त नया भवन तैयार किया जाना है जिसमें मेडिकल कॉलेज संचालित होगा। चरक अस्पताल भवन वर्तमान में 7 मंजिला है। माना जा रहा है कि मेडिकल कॉलेज भी इतनी ही ऊंचाई का बन सकता है। हालांकि मेडिकल कॉलेज भवन निर्माण की सभी प्रक्रिया भोपाल स्तर पर संचालित हो रही हैं। अस्पताल प्रशासन को सिर्फ जिला चिकित्सालय में स्थापित मशीनों व सामान के साथ कौन सा वार्ड कहां संचालित होगा इसका प्लान तैयार करने को कहा गया है। पिछले दिनों सीएमएचओ व सीएस ने बैठक कर चरक अस्पताल व माधव नगर अस्पताल में मेडिकल कॉलेज के निर्माण के दौरान शिफ्टिंग की योजना भी बनाई गई है।

मशीनों के लिये इंजीनियर बुलाना होंगे

जिला चिकित्सालय के पुराने भवन में सोनोग्राफी, एक्सरे सहित आईसीयू व अन्य वार्डों में अत्याधुनिक मशीनें स्थापित की गई हैं। उक्त मशीनों को चरक अस्पताल और माधव नगर अस्पताल में शिफ्ट करना होगा जिसके लिये इंजीनियरों को बुलाना होगा। हालांकि चिकित्सा के विभागों को कहां शिफ्ट करना है इसका निर्णय होने के बाद ही उक्त मशीनों को शिफ्ट किया जायेगा।

ठेकेदार के कर्मचारी कर रहे हैं काम

मेडिकल कॉलेज के लिये बहु मंजिला भवन का निर्माण होना है। इसी के चलते शासन स्तर पर भोपाल से मिट्टी परीक्षण के लिये टेण्डर जारी करते हुए भोपाल की एक टीम को उज्जैन भेजा है। टीम में शामिल बलराम वर्मा ने बताया कि मशीन द्वारा जमीन से 40 से 50 फीट गहराई से मिट्टी के सेम्पल लिये जा रहे हैं। जिला चिकित्सालय परिसर के 22 पाइंट इसके लिये चिन्हित किये गये हैं जहां से सेम्पल लेना है। गहराई में किस प्रकार की मिट्टी, पत्थर हैं इसके सेम्पल एकत्रित कर भोपाल स्थित लैब के सुपुर्द करना है। वर्मा ने बताया कि फिलहाल आरएमओ कार्यालय के बाहर की गई खुदाई में जमीन से 18 फीट गहराई में पत्थर मिले हैं।

बिल्डिंग तोडऩे व निर्माण के टेंडर अलग होंगे

स्वास्थ्य मंत्रालय भोपाल के मार्गदर्शन में शुरू हुए मेडिकल कॉलेज निर्माण के काम की मॉनीटरिंग सचिवालय स्तर पर हो रही है। लोकसभा निर्वाचन आचार संहिता लागू होने के पूर्व ही जिला चिकित्सालय के पुराने भवन को तोडऩे के टेंडर जारी हो चुके थे। अस्पताल के अफसरों का कहना है कि भवन तोडऩे व निर्माण के लिये शासन स्तर पर अलग-अलग टेंडर होंगे और समय सीमा में भवन निर्माण कराये जाने की शर्त भी लागू होगी।

निर्माण के लिए मिट्टी परीक्षण कितना महत्वपूर्ण है?

जब बहुमंजिला अपार्टमेंट या इमारतें बनाई जा रही हों तो मिट्टी परीक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि घातक दुर्घटनाएं या ढहने की घटना न घटे।

अगर मिट्टी का परीक्षण नहीं किया जाता है, तो रखी गई नींव में दोष और क्षति हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप इमारत की ताकत और स्थिरता बदल जाती है।

यह भी निर्धारित होता है कि भवन की नींव रखने के लिए मिट्टी में कितने गहरे और कितने लम्बे खंभे गाड़े जाएंगे।

परिणामों का उपयोग नींव की समस्याओं की संभावना और उपयोग हेतु सर्वोत्तम निर्माण विधियों का निर्धारण करने के लिए किया जाता है।

मिट्टी में उपलबध जल स्तर निर्धारित किया जा सकता है। मापा गया जल स्तर, नींव के अंदर और भवन की नींव में नमी के स्तर से संबंधित संभावित समस्याओं का संकेत देता है।

मिट्टी विश्लेषण से पता चलता है कि मिट्टी में सल्फर मौजूद है, तो भवन की नींव की सुरक्षा के लिए सल्फर प्रतिरोधी सीमेंट का उपयोग किया जाता है।

मिट्टी प्रतिक्रियाशीलता से तात्पर्य है कि मिट्टी किसी निश्चित स्थान की स्थितियों पर किस प्रकार प्रतिक्रिया करती है, जैसे कि क्या यह फैलती है, सिकुड़ती है या चलती है।

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