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माता-पिता की इन गलतियों को देख बच्‍चे सीख लेते हैं बुरी आदतें

अक्सर कहा जाता है कि बच्चे वही बनते हैं जो वे घर में रोज देखते-सुनते हैं. अगर मम्मी-पापा हमेशा सही चीज़ें करते दिखें तो बच्चा भी वैसा ही बनेगा, लेकिन अगर माता-पिता से छोटी-छोटी गलतियां हो जाएं, तो बच्चे उन्हें झट से पकड़ लेते हैं. कई बार तो पेरेंट्स को खुद पता भी नहीं होता और बच्चा उन्हीं बुरी आदतों को अपना लेता है. धीरे-धीरे यही आदतें उनके व्यवहार, पढ़ाई, दोस्तों से रिश्ते और आत्मविश्वास तक पर असर डालने लगती हैं. और सच कहें तो जब तक माता-पिता समझते हैं, तब तक देर हो चुकी होती है, बच्चा उनकी बात मानना भी कम कर देता है. इसलिए ज़रूरी है कि पेरेंट्स खुद को एक बार ध्यान से देखें और समझें कि घर की छोटी-मोटी बातें भी बच्चे को गलत दिशा में ले जा सकती हैं.

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पेरेंट्स की ये गलतियां सीख लेते हैं बच्‍चे

हमेशा फोन में बिजी रहना-
जब बच्चे देखते हैं कि मां-बाप हर समय फोन में स्क्रॉल कर रहे हैं, तो वे भी उसी आदत को आदर्श मानते हैं. इससे बच्चे स्क्रीन टाइम अधिक लेने लगते हैं और पढ़ाई या आउटडोर एक्टिविटीज से दूरी बना लेते हैं.

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बच्चे के सामने झगड़ा करना-
अगर घर में रोज झगड़ा होता रहता है, तो बच्चे आक्रामक, चिड़चिड़े और डरपोक स्वभाव के हो सकते हैं. वे भी समस्या का समाधान बातचीत के बजाय गुस्से में ढूंढ़ने लगते हैं.

बिना वजह गुस्सा करना-
कुछ पेरेंट्स छोटी-छोटी बात पर चिल्ला देते हैं. लगातार गुस्सा देखने से बच्चे भी एंगर मैनेजमेंट में कमजोर हो जाते हैं. वे सीखते हैं कि गुस्सा ही हर बात का जवाब है, जो आगे जाकर उनके व्यवहार को बिगाड़ता है.

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वादे करके निभाना नहीं-
जब मां-बाप बच्चे से कोई वादा करते हैं और उसे पूरा नहीं करते, तो बच्चे के मन में भरोसा टूटने लगता है. धीरे-धीरे वे भी वादे को हल्के में लेने लगते हैं. इससे उनका भरोसा और अनुशासन कमजोर पड़ता है.

दूसरों की बुराई करना-
अगर माता-पिता हर बात पर दूसरों की निंदा करते हैं, तो बच्चे भी वही आदत अपना लेते हैं. उन्हें लगता है कि किसी के पीछे उसकी बुराई करना सामान्य है. यह आदत बच्चों के सामाजिक संबंधों को नुकसान पहुंचाती है और उन्हें नेगेटिव माइंडसेट की ओर धकेलती है.

घर के कामों से भागना-
अर बच्चे देखते हैं कि पेरेंट्स घर के छोटे कामों से बचते हैं या जिम्मेदारियों से दूर भागते हैं, तो वे भी आलस और टालमटोल सीख लेते हैं. इससे उनमें जिम्मेदारी लेने की क्षमता कम हो जाती है.

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