विधानसभा चुनाव: निर्वाचन आयोग का फरमान, शिकायत पर होगी कार्रवाई
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन विधानसभा चुनाव के दौरान भीड़ बढ़ाने या फिर प्रचार-प्रसार के लिए बच्चों का उपयोग बिल्कुल नहीं किया जा सकेगा। बच्चों को माध्यम बनाकर इस तरह के आयोजन करने वालों पर अब सख्त कार्रवाई होगी। इसके लिए बाल कल्याण समिति और एनजीओ की भी मदद ली जाएगी।
चुनाव प्रचार में बच्चों को शामिल किए जाने के संबंध में निर्वाचन आयोग ने गाइड लाइन जारी कर दी है। बाल संरक्षण से जुड़े कुछ संगठनों द्वारा अन्य जिलों में प्रत्याशियों द्वारा स्कूल व आंगनवाड़ी के बच्चों का रैलियों एवं प्रचार-प्रसार के दौरान भीड़ बढ़ाने के लिए उपयोग किए जाने की शिकायत मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से की गई थी। शिकायत के बाद कड़ा रुख दिखाते हुए चुनाव में बच्चों के उपयोग को रोकने और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए गए है। संगठनों की ओर से प्राप्त शिकायतों पर आयोग ने 21 फरवरी 2017 के परिपत्र का हवाला देते कहा गया है कि मध्यप्रदेश में चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन की लगातार घटनाएं सामने आ रही हैं।
चुनाव में राजनीतिक दलों द्वारा बच्चों के अधिकारों का तो उल्लंघन किया ही जा रहा है, इसके अलावा मतदाता जागरूकता के नाम पर गैर राजनीतिक संगठन और सरकारी अधिकारी-कर्मचारी भी आचार संहिता का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं। शिकायत के बाद संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के हस्ताक्षर से जारी पत्र में सभी कलेक्टरों को निर्देश जारी किए गए हैं। इसमें कहा गया है कि चुनावों में बच्चों के इस्तेमाल को रोकने के लिए भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशों का सख्ती से पालन कराया जाए और इनका उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई की जाएं।
सीडब्ल्यूसी करेगी सुनवाई
आयोग द्वारा जारी निर्देशों में उल्लेख है किराजनीतिक दल और निर्वाचन अधिकारी निर्वाचन प्रक्रिया में बाल श्रमिकों को नहीं लगाएंगे। साथ ही निर्वाचन अधिकारियों या राजनैतिक दलों द्वारा बच्चों को निर्वाचन संबंधी किसी भी प्रकार की गतिविधि में शामिल नहीं किया जाएगा। जिले में किसी भी राजनैतिक दल या संगठन द्वारा ऐसा करने पर सीडब्लयूसी एवं कलेक्टर के समक्ष मामला रखा जाएगा। आयोग के अनुसार बच्चों और किशोरों को राजनैतिक पार्टियां किसी भी रूप में उपयोग नहीं कर सकतीं, जब तक वे मताधिकार का प्रयोग करने की उम्र तक न पहुंच जाएं। इस दिशा में स्वयंसेवी संगठन सक्रियता रखेंगे।