कोरियोग्राफर युवती ने दुपट्टे से फांसी लगाकर की आत्महत्या

सिंगर मां आर्केस्ट्रा में गई थी और पिता दिल्ली जा रहे थे
अक्षरविश्व न्यूज:उज्जैन। कोरियाग्राफर युवती ने शुक्रवार शाम घर में दुपट्टे से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। छोटे भाई ने उसे फंदे पर लटके देखा। दोस्तों की मदद से उसे फंदे से उतारकर अस्पताल ले गए जहां डॉक्टर ने युवती को मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने मर्ग कायम कर शव का पीएम कराया है।सांई कॉलोनी अलखधाम नगर में रहने वाली 22 वर्षीय भावना पिता महेन्द्र राय कोरियोग्राफर थी। कुछ समय पहले तक सनशाइन टॉवर में क्लास चलाती थी। उसके पिता महेन्द्र राय ने बताया कि वह दिल्ली गए थे। पत्नी दीपा वर्मा सिंगर हैं। वह आर्केस्ट्रा में गीत गाने गई थीं। घर पर बेटे मोहित और मोदित थे। ट्रेन में फोन पर सूचना मिली कि भावना ने फांसी लगा ली है। रास्ते में ही ट्रेन छोडक़र दूसरे साधन से उज्जैन लौटा। यहां पता चला कि भावना की मृत्यु हो चुकी है। उसने किन कारणों के चलते फांसी लगाई इसकी जानकारी नहीं है।
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छोटा भाई बाजार से लौटा तो देखा
मोहित किसी काम से घर से बाहर गया था। छोटा भाई मोदित बाजार में जूते खरीदने गया था। वह बाजार से लौटा तो उसने बहन को फांसी के फंदे पर लटके देखा था। महेन्द्र राय ने बताया कि उनका दीपा वर्मा से दूसरा विवाह हुआ है पहले पति से उनका तलाक हो चुका था। दीपा के तीनों बच्चे पहले पति के ही हैं।
दो दिन पहले मौसी के घर से लौटी थी
महेंद्र राय ने बताया कि भावना 7 अप्रैल को मौसी के रिश्तेदार की शादी में शामिल होने सोनकच्छ गई थी और 17 अप्रैल को वहां से लौटी थी। शादी के दौरान उसने डांस के कई फोटो वीडियो भी बनाए और अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किए थे। इस दौरान वह काफी खुश लग रही थी।
अभिभावक बच्चों से नियमित संवाद करें
18 से 30 वर्ष की आयु वर्ग के युवाओं में आत्महत्या जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं। इसके पीछे मानसिक अवसाद, परिजनों की बच्चों से दूरी, डिप्रेशन मुख्य कारण हैं। कुछ युवा सोशल मीडिया के जरिये ऐसे लोगों से भी जुड़ जाते हैं जो तनाव का कारण बनते हैं। परिजन को चाहिए कि अपने व्यस्त शेड्यूल से समय निकालकर बच्चों के साथ समय बिताएं, उनकी दिनचर्या, परेशानी, पढ़ाई, कैरियर के संबंध में विस्तार से चर्चा करें। किसी प्रकार का तनाव या परेशानी आने पर मनोचिकित्सक की सलाह लें। अभिभावकों को चाहिए कि वे माह में एक बार अपने बच्चों के साथ बाहर घूमने का कार्यक्रम जरूर बनाएं। –डॉ. राकेश मीना, मनोचिकित्सक चरक अस्पताल