Friday, September 22, 2023
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नगर निगम में पहली बार सिटी फाइनेंशियल रैंकिंग

बैलेंस शीट अच्छी होने पर ही मिलेगा विकास का बजट

अक्षरविश्व न्यूज.उज्जैन।नगरीय निकायों को विकास का बजट तभी मिलेगा, जब उनकी ऑडिटिड बैलेंस शीट अच्छी होगी। देश के 4500 शहरों में पहली बार सिटी फाइनेंशियल रैंकिंग की जा रही है। सभी शहरों के बीच होने वाले मुकाबले के आधार पर ही टॉप शहरों को चुना जाएगा। इस प्रतिस्पर्धा में शामिल होने के लिए सबसे अहम मापदंड तीन साल की ऑडिटिड बैलेंस शीट होगी। मप्र नगरीय विकास एवं आवास विभाग के सूत्रों के अनुसार प्रदेश की 413 नगरीय निकायों में से 188 के पास बैलेंस शीट है ही नहीं।

केंद्र सरकार द्वारा अब तक नगरीय निकायों के बीच स्वच्छता रैंकिंग ही की जाती रही है,लेकिन अब निकायों के राजस्व पर निगाह रखने के साथ शहरों के बीच में आर्थिक मजबूती की प्रतिस्पर्धा भी चाहती है। इसी के चलते नगर निगम में पहली बार सिटी फाइनेंशियल रैंकिंग निर्धारित की जा रही है।

उज्जैन नगर निगम ने भी इस साल राजस्व वसूली के लिए जोर लगाया। पिछले साल के मुकाबले उज्जैन नगर निगम ने 8 से 10 प्रतिशत ज्यादा वसूली की। इसके लिए बकायादारों पर जमकर दबाव बनाया गया। ऐसा इससे पहले कभी नहीं हुआ था। वजह यह थी कि फाइनेंस कमीशन ने राजस्व वसूली के आधार पर ही अगला बजट देने के लिए कहा था। सिटी फाइनेंशियल रैंकिंग की तीसरे मापदंड में भी इसका जिक्र है। इसमें हर नगरीय निकाय को 3 साल में बढ़ी इनकम की जानकारी भी देनी होगी।

1200 नंबर के लिए प्रतिस्पर्धा

  • मप्र नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने 413 में से 40 नगरीय निकायों को प्रतिस्पर्धा के लिए चिह्नित किया है। इसके लिए 3 साल की ऑडिटिड बैलेंस शीट, बजट एक्सपेंडीचर व 3 साल में बढ़ी इनकम के आधार पर चुना है।
  • यह निकाय 1200 नंबर के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगे। इनमें 600 नंबर रिसोर्स मोबलाइजेशन के, 300 एक्सपेंडीचर परफॉर्मेंस के और 300 फिजिकल गवर्नेंस के होंगे।
  • 31 मई तक केंद्र के पोर्टल पर सभी निकाय अपनी-अपनी जानकारी अपलोड करेंगे। भारत सरकार की एक टीम इनका आंकलन करेगी फिर इन निकायों को उनकी कैटेगरी के आधार पर पुरस्कार दिए जाएंगे।नहीं मिलता था

खर्चों का हिसाब

नगरीय विकास एवं आवास विभाग के सूत्रों के अनुसार सिटी फाइनेंशियल रैंकिंग नगरीय निकायों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए की जा रही है। कई निकाय अपने खर्च का हिसाब नहीं दे पाते थे। उनकी बैलेंस शीट नहीं बन पाती थी।

अब ऐसा नहीं होगा, जो पैसा जहां खर्च करने के लिए मिला है, उसका उपयोग वहीं किया जाएगा। अच्छी बैलेंस शीट के आधार पर ही अगला बजट मिलेगा। इससे कोई नगरीय निकाय किसी अन्य शहर या प्रदेश के निकाय की बेस्ट प्रैक्टिस को भी अपना सकेंगी।

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