शहरवासियों को भस्मार्ती में नि:शुल्क प्रवेश नहीं मिलेगा

महाकाल अन्नक्षेत्र से दीनदयाल रसोई को भोजन देने पर रोक
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आधार कार्ड से सप्ताह में एक बार सुविधा का था प्रस्ताव

अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। महाकाल मंदिर में नित्य प्रात: ब्रह्ममुहूर्त में होने वाली भस्मारती में उज्जैन के भक्तों को नि:शुल्क प्रवेश के द्वार बंद हो गए हैं। मंदिर प्रबंध समिति ने इस प्रस्ताव को फिलहाल खारिज कर दिया है। साथ ही महाकाल मंदिर के अन्नक्षेत्र से निगम के रैन बसेरा में रहने वाले लोगों को दिए जाने वाले भोजन पर भी रोक लगा दी गई है। मंदिर प्रशासन सेवानिवृत्त अधिकारियों की सेवाएं लेने की तैयारी में भी जुट गया है।
महाकाल मंदिर प्रबंध समिति ने उज्जैन के श्रद्धालुओं को सप्ताह में एक दिन मंगलवार को भस्मारती में नि:शुल्क प्रवेश देने के प्रस्ताव को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। पहले तत्कालीन कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम के समय प्रबंध समिति ने स्थानीय दर्शनार्थियों को आधार कार्ड के माध्यम से प्रवेश देने का निर्णय किया था और यह भी कहा था कि इसी तरह भस्मारती में भी नि:शुल्क प्रवेश दिया जाएगा। मंदिर समिति रोज 300 दर्शनार्थियों को भस्मारती में नि:शुल्क प्रवेश देती है। मंदिर समिति में यह सहमति बनी थी कि सप्ताह में एक दिन उज्जैन के 150 भक्तों को नि:शुल्क प्रस्ताव दिया जाए। रविवार को हुई प्रबंध समिति की बैठक में इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया गया है।
एक साल तक भोजन, अब फुलस्टॉप
यह निर्णय भी हुआ कि महाकाल अन्नक्षेत्र से नगर निगम द्वारा संचालित दीनदयाल रसोई योजना के तहत शहर के रैन बसेरों में अब मंदिर प्रबंध समिति द्वारा संचालित अन्नक्षेत्र से भोजन की आपूर्ति नहीं की जाएगी। दरअसल, नया अन्नक्षेत्र बनने से पहले अन्नक्षेत्र से उज्जैन के आठ रेनबेसरों में भोजन भेजा जाता था। नया अन्नक्षेत्र बनने के बाद से भोजन बंद कर दिया गया और प्रबंध समिति ने अब इस पर फुलस्टॉप लगा दिया गया है। समिति में इस बात पर सहमति बनी है कि जिनको भोजन करना है, उन्हें अन्नक्षेत्र ही आना पड़ेगा।
उपचार पर 39 लाख के खर्च को मंजूरी
महाकाल मंदिर के गर्भगृह में 25 मार्च को गुलाल उडऩे से आग लग गई थी। इस हादसे में पुजारियों सहित 14 लोग घायल हुए थे। इनमें से 9 को इंदौर के अरबिंदो हॉस्पिटल में भेजा गया था। इस उपचार पर करीब 39 लाख रुपए का व्यय हुआ था। प्रबंध समिति के समक्ष यह खर्च भी पेश किया गया, जिसे मंजूरी दी गई।
प्रस्ताव को स्वीकृति न देने का निर्णय
यह सही है कि उज्जैन के दर्शनार्थियों को हफ्ते में एक दिन नि:शुल्क भस्मारती प्रवेश देने के प्रस्ताव को स्वीकृति न देने का निर्णय किया गया है। रेनबसेराओं के लिए भोजन भी न देने पर सहमति बनी है।
-मुकेश टटवाल, महापौर
भोजन करना है तो अन्नक्षेत्र आएं
महाकाल अन्नक्षेत्र से रेनबसेरों में भोजन भेजना उचित भी नहीं, जिनको भोजन करना है, वे अन्नक्षेत्र आएं और भोजन करें। इसलिए इस पर सहमति बनी है।
– पं. राजेंद्र गुरु, सदस्य महाकाल मंदिर प्रबंध समिति









