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विनम्रता से सीएम डॉ. यादव ने चुनौतियों को कराया शीर्षासन…!

कोल्ड्रिफ कफ सिरप से एमपी में बच्चों की मौत के तनाव के बीच कलेक्टर और कमिश्नर कॉन्फे्रंस के माध्यम से कानून व्यवस्था को बेहतर करने की चुनौती के बीच तमाम परेशानियों को कैसे शीर्षासन कराकर विनम्र रहा जा सकता है, इसका एक उदाहरण मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव में देखा जा सकता है। जब सीहोर जिले के सलकनपुर स्थित उत्तम स्वामी जी के आश्रम में आयोजित शरद पूर्णिमा महोत्सव में मुख्यमंत्री डॉ. यादव उपस्थित नहीं हो सके तब उत्तम स्वामी जी ने नाराजगी व्यक्त कर मंच से कह दिया था कि जिसके पास सेवा प्रकल्प के लिए दो घंटे नहीं हैं, वो हमारे मंच पर नहीं चाहिए।

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किंतु जब मुख्यमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंस से ऑनलाइन जुड़े और संवाद की कमी के कारण हुई स्थिति साफ करते हुए माफी मांगी और उत्तम स्वामी जी के नाम के जयकारे लगवाए तो वातावरण तुरंत बदल गया। वास्तविकता को स्वीकार कर तमाम तनावों के बीच विनम्र बने रहना असाधारण बात है। मुख्यमंत्री आज भी बखूबी शीर्षासन कर लेते हैं और शारीरिक संतुलन की कला को साधते हैं, किंतु परेशानियों और पूरे राज्य के विकास की चुनौतियों का सामना करते हुए सत्ता और सामाजिक संतुलन साधना कठिन है। इसलिए, मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने विनम्रता में अपना कद और ऊंचा कर लिया है।

इस वाकये से यह सीखा जा सकता है कि अधिकारी, पुलिस और युवा भी अपने जीवन में आने वाली चुनौतियों से घबराएं नहीं बल्कि विनम्र होकर अपना काम करते रहे तो जयकार अवश्य होगी। सलकनपुर जैसे प्रकरण में सीएम के हैंडलिंग को इस तरह से समझा जा सकता है कि उन्होंने यह कहने में भी गुरेज नहीं किया कि हम सब आपके बच्चे हैं और आपने ही हमें राजकाज के काम में लगाया है।

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मजाकिया अंदाज में सीएम ने यह भी कहा कि यहां (सीएम की जिम्मेदारी) तो आपने ही फंसाया है तो आप ही जानो। अब आप खुश हो या नाराज, आप आशीर्वाद सदा देते रहेंगे। महाराज इस कार्यक्रम में मैंने आपका भाषण भी सुन लिया, डांट भी सुन ली। अब डबल रोटी खाऊंगा, क्योंकि आपको नाराज होता देख मुझे आनंद आ गया, क्योंकि घर के अंदर यदि बड़े-बुजुर्ग नाराज न हो तो भोजन का आनंद ही नहीं आता है।

देखने में आता है कि जब आम आदमी पुलिस थाने या किसी सरकारी दफ्तर में अपनी समस्या लेकर जाता है तो उसे डांट फटकार का भी सामना करना पड़ता है। इस स्थिति में जिम्मेदार अफसरों को भी सहज और विनम्र भाव से काम करने की प्रेरणा लेनी चाहिए ताकि सत्ता और समाज के बीच बेहतर समन्वय बना रहे।

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