विजयपुर में जीत के लिए कमर कसी सीएम ने

By AV NEWS

बुधनी और विजयपुर विधानसभा के उपचुनाव 13 नवंबर को होंगे

भाजपा की परंपरागत सीट है बुधनी कांग्रेस का पुराना गढ़ है विजयपुर

नरेन्द्र सिंह अकेला|उज्जैन। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इन दिनों उपचुनाव में व्यस्त हैं। बुधनी भाजपा का गढ़ है लेकिन विजयपुर में विजय जरूरी है। आदिवासी बहुल इस क्षेत्र में भाजपा को अपना कमाल दिखाना है। लोकसभा चुनाव में कमाल दिखा चुके मुख्यमंत्री ने जबरदस्त रणनीति बनाई है। 13 नवंबर को चुनाव होना है। परिणाम २३ को आएंगे।

प्रदेश की चुनावी बिसात पर फिर नई इबारत लिखने का अवसर है। बुधनी और विजयपुर पर राजनीति के प्रेक्षकों की नजरें जमी हैं। कांग्रेस को अपनी प्रतिष्ठा कायम करना है और भाजपा को इतिहास बनाना है। पिछले लोकसभा चुनाव में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भाजपा की झोली में 29 सीटें डाल कर देश के उन दिग्गज नेताओं को चौंकाया था जो रणनीति के महारथी माने जाते हैं। केंद्र की भाजपा सरकार में मध्यप्रदेश का बड़ा योगदान रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी डॉ. मोहन यादव की रणनीति और चुनावी कौशल की सराहना की। अब एक बार फिर उपचुनाव की जाजम पर दो साथियों को बैठाना है। भाजपा के पास अभी 230 में से 164 सीटें हैं। इसमें बुधनी भी शामिल है।

कमाल दिखाना है

डॉ. मोहन यादव को पता है कि विजयपुर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र तो है ही, कांग्रेस का गढ़ भी है। यहां से कैबिनेट मंत्री रामनिवास रावत भाग्य आजमा रहे हैं। पिछली बार वे कांग्रेस से चुने गए थे। डॉ. यादव की चुनावी रणनीति में वे भाजपा में शामिल हो गए। इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस के मुकेश मल्होत्रा से है। डॉ. यादव ने विजयपुर जाकर न सिर्फ फॉर्म भरवाया बल्कि सभाएं भी लीं।

केंद्र में पहचान बनाई सीएम ने

पिछले दिनों हरियाणा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद मुख्यमंत्री की ताजपोशी के लिए केंद्र ने दो पर्यवेक्षेक बनाए। पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और दूसरे डॉ. मोहन यादव थे। डॉ. यादव ने हरियाणा की 14 सीटों पर अपना प्रभाव जमा कर कांग्रेस के मंसूबों पर पानी फेरा था। यही सीटें भाजपा को बहुमत दिलाने में कारगर साबित हुईं। इसलिए केंद्र ने भी डॉ. यादव की मेहनत को पुरस्कृत करते हुए पूरा सम्मान दिया।

बुधनी का किला कांग्रेस के लिए मुश्किल
बुधनी विधानसभा सीट पर 2003 से भाजपा का ही कब्जा रहा है। यह ऐसा किला है जिसे ढहाने में कांग्रेस ने एड़ी से लेकर चोटी तक का जोर लगा लिया, लेकिन निराशा ही हाथ लगी है। पिछला चुनाव तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भारी मतों से जीता था। वे केंद्र में केंद्रीय कृषि मंत्री बना दिए गए। लिहाजा उन्हें सीट छोडऩा पड़ी।

भाजपा ने यहां से रमाकांत भार्गव पर दांव खेला है। उनका मुकाबला कांग्रेस के राजकुमार पटेल से है। डॉ. मोहन यादव ने बुधनी पहुंच कर भार्गव का फॉर्म भरवाने के बाद कार्यकर्ताओं के जोश को लबरेज किया। यहां भी चुनावी सभाएं लेकर वे सभी का ध्यान अपनी ओर खींच चुके हैं।

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