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चार्जशीट में देरी पर रद्द हो सकता है मुकदमा : कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसले में कहा कि आपराधिक मामलों में अंतहीन जांच की इजाजत नहीं दी जा सकती। साथ ही कहा कि आरोपपत्र दाखिल करने में अत्यधिक देरी होती है तो मुकदमा रद्द भी किया जा सकता है।

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जस्टिस संजय करोल और एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ ने बिहार कैडर के आईएएस रॉबर्ट लालचुंगनुंगा चोंगथु के खिलाफ लंबित मामले को इस आधार पर रद्द कर दिया कि 11 वर्ष बीतने के बाद भी जांच पूरी नहीं हुई। पीठ ने कहा कि पूरक आरोपपत्र दाखिल करने में देरी के लिए जांच एजेंसियों से जवाब मांगना कोर्ट की जिम्मेदारी है।

जस्टिस करोल ने कहा कि आरोपी को लगातार जांच और आखिर में ट्रायल की कार्रवाई के डर से रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित कर परेशान नहीं किया जा सकता। शीर्ष अदालत ने कहा, आपराधिक कानून की मशीनरी के ठीक से काम करने के लिए कारण जरूरी हैं। वे न्याय प्रणाली में निष्पक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही का आधार बनते हैं।

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