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चार दरवाजे पार कर गुड्डू कलीम को मारने पहुंचे थे दानिश और सोहराब

हत्याकांड के बाद अक्षरविश्व पहुंचा वजीर पार्क कॉलोनी स्थित गुड्डू के निवास पर

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  • रईसी में पले आसिफ ने गुरबत में आने के डर से रची साजिश,
  • पिता से बेहद नफरत करता था दानिश, पत्नी की मौत के लिए मानता था जिम्मेदार
  • मंछामन मल्टी के पास बाइक छोड़कर पैदल आए थे वजीर पार्क तक

अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। दुनिया में हर फसाद या विवाद की जड़ जर (संपत्ति), जोरू (औरत) और जमीन होती है। पूर्व पार्षद गुड्डू कलीम की हत्या में एक नहीं इन तीनों कारणों का हाथ रहा। बड़े बेटे आसिफ और पत्नी नीलोफर को संपत्ति खोने का डर था तो छोटा बेटा दानिश अपनी पत्नी की खुदकुशी के लिए पिता को जिम्मेदार मानता था। इंदौर-उज्जैन बायपास स्थित 5 हजार वर्गफीट की जमीन भतीजे आरिफ को देने भर की बात से पत्नी और बेटे इतने नाराज थे कि दोनों ने कलीम की हत्या की सुपारी इंदौर के इमरान और उज्जैन के सोहराब को दे दी।

 

11 अक्टूबर को तड़के गुड्डू कलीम की उसके ही बेडरूम में सोते समय हत्या कर दी गई थी। वजीर पार्क कॉलोनी में गुड्डू का घर करीब 5 हजार स्क्वेयर फीट जमीन पर बना है। मकान की बनावट इस तरह है कि यहां आम आदमी का घुसना बेहद मुश्किल है। परिसर में दो ओर से खुली जगह है और इसके बीचोंबीच मकान बना है। प्रवेश करने के लिए सबसे पहले लोहे का गेट पार करना होता है। इसके बाद बीच में लकड़ी का बड़ा गेट आता है।

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यह गेट गलियारे में खुलता है और इसके दोनों ओर दो हॉल बने हैं। इनमें से एक का उपयोग बाहरी और दूसरे का नजदीकी लोगों के लिए ड्राइंग रूम के तौर पर होता है। गलियारा हॉल में खुलता है। हॉल और गलियारे के बीच लकड़ी का दूसरा बड़ा गेट है। हॉल के भीतर से पहली मंजिल पर सीढिय़ां जाती हैं। पहली मंजिल पर दो बेडरूम हैं। सीढिय़ां खत्म होते ही पहला बेडरूम है, जिसका उपयोग गुड्डू करते थे।

इस बेडरूम के पास नीचे की तरह ही दूसरा गलियारा है, जो आगे जाकर गैलरी में खुलता है। गलियारे और गैलरी के बीच भी नीचे की तरह ही बड़ा लकड़ी का गेट है। निचली मंजिल से गैलरी की ऊंचाई करीब २० फीट है और यहां हॉल से ही आया जा सकता है। गुड्डू के बेडरूम का पिछला दरवाजा गैलरी में खुलता है और इसी दरवाजे से दानिश और सोहराब दाखिल हुए थे। पहली मंजिल पर आसिफ और नगमा का बेडरूम भी है। हत्या वाली रात आसिफ, उसकी पत्नी नगमा यहीं थे, जबकि नीलोफर गुड्डू के बेडरूम में थी।

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बाइक खड़ी कर पैदल पहुंचा था दानिश

इमरान से प्राणघातक हमले की साजिश का पता चलने के बाद 10 अक्टूबर को गुड्डू बहुत बेचैन थे। अपने मिलने वाले हर शख्स के सामने परिवार की करतूत बयां की थी। उन्हें उम्मीद थी कि 11 अक्टूबर को पुलिस षड्यंत्र का आधिकारिक तौर पर खुलासा कर देगी तो वह पत्नी और बेटों पर एक्शन लेगा। इस बात की भनक आसिफ को लगी तो उसने गुड्डू की हत्या करना तय किया। इसके लिए भाई दानिश और दोस्त सोहराब को तैयार किया। उसने ही ससुर नासिर लाला के मार्फत 12 बोर के अद्दे का जुगाड़ किया। 11 अक्टूबर को तड़के दानिश और सोहराब बाइक से मंछामन मल्टी के पास पहुंचे और यहां बाइक खड़ीकर पैदल वजीर पार्क में घर पहुंचे। पीछे वाली दीवार फांदकर अंदर घुसे। चूंकि गेट खुले हुए थे तो हॉल से होते हुए वह पहली मंजिल पर गुड्डू के बेडरूम में दाखिल हो गए। सोते में हत्या कर दी।

आसिफ ने सोहराब के भाई जावेद के खाते में ट्रांसफर किए थे रुपए

गुड्डू की हत्या कराने के लिए आसिफ ने खाला शबाना के इंदौर में रहने वाले दामाद इमरान से संपर्क किया था। अपनी योजना में उसने दोस्त जावेद और सोहराब को भी शामिल किया था। दोनों भाई एक साल पहले कुवैत से उज्जैन आए थे और खाली बैठे थे। पैसों के लिए उन्होंने हत्या में साथ देने की हामी भरी थी।

आसिफ ने इसके लिए जावेद के खाते में किश्तों में करीब 8 लाख रुपए भी ट्रांसफर किए थे। 1.50 लाख रुपए अदा कर इंदौर से पुरानी कार एमपी 09 जीएच 1683  भी खरीदी थी। यह कार रविवार को पुलिस ने जब्त कर ली। इस कार पर ट्रक की नंबर प्लेट लगाकर 4 अक्टूबर को इमरान उज्जैन आया था और उसने सोहराब की मदद से गुड्डू पर फायर किया था। पकड़े जाने पर इमरान ने जब राजफाश किया तो ताबड़तोड़ गुड्डू को मारने की योजना बनाई गई और इसे दानिश और सोहराब ने अंजाम दे दिया।

एक को अमीरी खोने का डर, दूसरे को मुफलिसी से बाहर आने की आस

अथाह दौलत के मालिक गुड्डू कलीम के दोनों बेटों का जीवन धूप और छाया की तरह था। आसिफ अमीरी का जीवन गुजार रहा था तो दानिश मुफलिसी का। आसिफ ने देश के साथ ही विदेशों की यात्रा भी की और इस वजह से उसका रहन-सहन अमीरों वाला हो गया। मुफलिसी से उठे गुड्डू को फिजूलखर्ची पसंद नहीं थी और गाहे-बगाहे आसिफ पर रोक-टोक भी लगाता था। भतीजे आरिफ को संपत्ति में वारिस बनाने से आसिफ को अपनी अमीरी खोने का डर था, तो दानिश को उम्मीद थी कि पिता की हत्या कर वह मुफलिसी के दौर से बाहर निकल आएगा। ऐसे में मां का साथ मिला तो दोनों पिता को ठिकाने लगाने के लिए तैयार हो गए।

हल्दी का दूध पीकर सोये थे गुड्डू

हाथ में चोट के कारण गुड्डू ने सोने से पहले हल्दी वाला दूध पिया था। परिजनों को आशंका है कि दूध में कुछ मिलाया था जिस वजह से गुड्डू गहरी नींद में चला गया और उसे आसानी से गोली मार दी गई।

बहू की भूमिका संदिग्ध

पुलिस ने इस मामले में बहू नगमा को हिरासत में लिया था, हालांकि पिता नासिर लाला के दबाव में छोड़ दिया गया था। परिजन उसकी भूमिका को भी संदिग्ध मान रहे हैं। फिलहाल नगमा अपने मायके जामा मस्जिद के सामने रह रही है।

साजिश के तहत खोले गए गेट..!

सुरक्षा के लिहाज से गुड्डू कलीम के बेडरूम तक आसानी से नहीं पहुंचा जा सकता, क्योंकि यहां तक पहुंचने के लिए चार गेट पार करने पड़ते। घटना वाले दिन सोने से पहले गुड्डू ने सभी गेट बंद करवाए थे। गुड्डू के सोने के बाद इन गेटों को साजिश के तहत खोला गया। इसमें आसिफ और नीलोफर की भूमिका सामने आ रही है। मामले में पुलिस नीलोफर और आसिफ को पूछताछ के लिए जेल से लाने की तैयारी कर रही है। माना जा रहा है कि घटनाक्रम की पड़ताल के लिए सीन भी क्रिएट किया जा सकता है।

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