बाबा महाकाल के दर्शन तो ठीक हुए, रामघाट पर चोटिल हो रहे…

मोक्षदायिनी शिप्रा में कम हुआ पानी, सीढ़ियों पर जमी काई बन रही हादसे का सबब, देखने वाला कोई नहींं

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

advertisement

पंडे-पुजारी बोले- सफाई की ओर ध्यान देने वाला कोई नहीं, रोज 15 से 20 श्रद्धालु घायल हो रहे

अक्षरविश्व न्यूज|उज्जैन। भगवान महाकाल के दर्शन तो ठीक से हुए लेकिन रामघाट पर पहुंचते ही चोटिल हो गए। यह कहना है उन श्रद्धालुओं का जो मंगलवार को रामघाट पर दर्शन-पूजन के लिए पहुंचे लेकिन यहां फैली अव्यवस्थाओं के कारण चोटिल हो बैठे। शब्दों के माध्यम से अपनी नाराजगी जाहिर की और दु:खी मन से वहां से रवाना हो गए।

advertisement

सफाईकर्मी को लेकर पहुंचे सैनेटरी इंस्पेक्टर

एक के बाद एक दो हादसे के बाद घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी थी। इस दौरान अक्षर विश्व की टीम भी मौके पर मौजूद थी जिसे देख नगर निगम में पदस्थ सैनेटरी इंस्पेक्टर देवांश वर्मा अपने साथ एक सफाईकर्मी को लेकर ताबड़तोड़ वहां पहुंचे। उन्होंने जहां हादसा हुआ वहां की सीढ़ियों की सफाई करवाना शुरू कर दी।

advertisement

जब अक्षर विश्व की टीम ने देवांश वर्मा से सवाल किया कि आप जहां हादसा हुआ है, केवल वहीं सफाई करेंगे तो अन्य जगह का क्या होगा, इस पर उन्होंने कहा कि अभी यहां सफाई कर रहे हैं, बाकी जगह बाद में कर देंगे।

हादसा-1 समय- सुबह 9:45 बजे :मुंबई के रहने वाले विलास माने अपनी पत्नी राजश्री माने के साथ उज्जैन दर्शन करने आए थे। वे सुबह रामघाट पहुंचे और मनकामनेश्वर मंदिर के सामने पूजन कर रहे थे। इस बीच राजश्री माने आचमन करने के लिए सीढ़ियों पर पहुंचे लेकिन जैसे ही उन्होंने वहां पैर रखा वह फिसलकर धड़ाम से गिर गई जिससे उनके सिर में काफी चोट आई। चक्कर आने के कारण उन्हें वहां मौजूद अन्य लोगों ने उठाकर बैठाया। काफी देर तक वह ऐसी ही बैठी रहीं और उनके पति लोगों से अस्पताल का पता पूछते रहे। उन्होंने कहा कि कितनी गंदी व्यवस्था है, ना सुरक्षा का ध्यान है, ना सफाई का, कैसा प्रशासन है। इसके बाद वे अपने होटल के लिए रवाना हो गए।

हादसा-2 समय- सुबह 9:50 बजे :राजगढ़ जिले के सारंगपुर के रहने वाले नीरज पिता कैलाश सेन अपने दोस्त अल्केश गुर्जर निवासी आगर मालवा के साथ सोमवार को बाबा महाकाल के दर्शन के लिए उज्जैन आए थे। मंगलवार सुबह होटल से सीधे रामघाट पहुंचे थे। यहां आचमन करने के दौरान सीढ़ियों पर जमी काई से नीरज का पैर फिसला और वह सीधे नदी में जा गिरे। छटपटाहट के बीच दोस्त अल्केश ने हाथ देकर नीरज को बाहर निकाला।

गनीमत रही कि नीरज गहरे पानी में नहीं गए वरना उनकी जान भी जा सकती थी। उनके बाएं हाथ में चोट लगी थी और उससे खून भी निकल रहा था। उन्होंने उन्हें भी व्यवस्थाओं को कोसा और अस्पताल का पता पूछकर रवाना हो गए।

नदी में काला पानी और घाट पर अव्यवस्थाओं का बोलबाला

मोक्षदायिनी शिप्रा में कान्ह का प्रदूषित काला पानी भरा है, पिछले दिनों ही अमावस्या के लिए तीन दिनों तक नर्मदा का साफ पानी लिया गया था लेकिन त्रिवेणी पर मिट्टी का अस्थायी पुल नहीं बनने से गंदा पानी उसमें मिलता रहा। ऐसे में वही दूषित और काला पानी रामघाट पर भरा है। चूंकि उस वक्त जलस्तर ज्यादा था जिसके चलते सीढ़ियां डूबी थी, ऐसे में श्रद्धालु ऊपर से ही पूजन-अर्चन कर रहे थे लेकिन अब जलस्तर कम होने से सीढ़ियों पर काई दिखने लगी है जिसकी वजह से श्रद्धालु हादसे का शिकार हो रहे हैं।

कोई देखने वाला नहीं

पूरे घाट की सीढ़ियों पर काई जमी है। रोज 15 से 20 श्रद्धालु यहां गिरकर चोटिल हो रहे हैं, सफाईकर्मी पिछले 10 दिनों से नजर नहीं आए। यहां कोई देखने वाला नहीं है।
– पं. प्रेमनारायण तिवारी

पछले कुछ दिनों से शिप्रा का जलस्तर कम हुआ है जिससे काई ऊपर आ गई है। बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को पता नहीं होता और वह हादसे का शिकार हो जाते हैं।
– पं. अमृतेश त्रिवेदी, पुजारी प्रतिनिधि, मनकामनेश्वर महादेव

Related Articles

close