शहर में प्रतिदिन जलप्रदाय को लेकर सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस

जब जलकर पूरे माह का ले रहे हैं तो रोजाना जलप्रदाय भी निगम की जिम्मेदारी है
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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। बारिश सीजन के दौरान शहर में जलप्रदाय का मुख्य स्त्रोत गंभीर डेम अपनी पूरी क्षमता 2250 एमसीएफटी तक भर चुका है। अब शहर में प्रतिदिन जलप्रदाय की मांग लोगों द्वारा की जा रही है वहीं दूसरी ओर महापौर इस मुद्दे को लेकर विशेषज्ञों की राय का इंतजार कर रहे हैं। सोशल मीडिया के उज्जैनवाले ग्रुप पर इसी बात को लेकर बहस छिड़ गई है। एक ओर ग्रुप के कुछ सदस्य प्रतिदिन जलप्रदाय के पक्ष में हैं तो कुछ अलग ही तर्क दे रहे हैं जो इस प्रकार है :-

यह हैं प्रतिदिन जलप्रदाय के पक्ष में
चाहे आठ दिन छोड़ कर दो गर्मी में तो समस्या से रूबरू होना ही है इसलिए अभी जल प्रदाय प्रतिदिन होना चाहिए।
डॉ संजय नागर
जिनके घर ट्यूब वेल है उनको एक दिन छोड़ कर और जिनके यहां नहीं है उनको प्रतिदिन चाहिए।
संजय अरोरा
जल प्रदाय तो प्रतिदिन होना चाहिये इंदौर जैसे महानगर में भी तो रोज जलप्रदाय हो रहा है जरूरी ये है कि समस्या के निदान के लिये उचित कदम हमारा डेम उस समय की जनसंख्या के लिए पर्याप्त था अब की जनसंख्या तो बढ़ी है पर डेम की हाईट नही बढ़ी नर्मदा क्षिप्रा लिंक योजना का भी लाभ पूर्णत: नही मिल रहा है , जबकि यह योजना शहरवासियों की पर्याप्त जल प्रदाय प्रतिदिन व्यवस्था के हिसाब से लाई गई थी और माँ क्षिप्रा को प्रवाहमान बनाने में सहायता के लिए थी आप भले ही दो दिन छोडक़र जलप्रदाय करें पर गर्मी में समस्या बनती ही है! यदि जलकर या कोई भी कर इसलिये बढ़ाया जाता है कि उसका लाभ हमे मिले ऐसा मेरा मत है!
दीपक जोशी
कितनो के यहां बोरिंग है जिनको सरकारी नल की अवश्यकता नही है उनके नल विच्छेद करके फिर प्रतिदिन वितरित किया जा सकता है। जितनी भी नई कालोनियां बनी हुई है वहा 24 घंटे पानी की सुविधाएं मौजूद हैं।
महेंद्र सिंह
अगर जल प्रदाय एक दिन छोडक़र तो जल प्रदाय का बिल भी आधा हो पूरे महीने का क्यों फिर नेताओं के बंगलों और सरकारी बंगलों में जो नेता निवासरत हैं उनको 24 घंटे पानी क्यों?
नारायण बघेला
मेरे सुझाव से प्रतिदिन होना चाहिए, क्योंकि भुगतान भी हम प्रतिदिन का करते हैं। जनता जागरुक हो पानी का अपव्यय ना करें जल ही जीवन है, जल है तो कल है, नोट ठंड में समय आधा घंटा काम कर सकते हैं।
विजय सिंह
प्रशासन की आदत मत खराब करो। डैम का पानी चोरी चला जायेगा, वाष्पीकरण, सीपेज हो जायेगा। अभी तो रोज जलप्रदाय होने में ही ठीक हे।वैसे भी बिल तो पूरे महीने का देना है।कितना भी करले गर्मी में एक दिन छोडक़र ही पानी मिलेगा।
विजय सोलगे
चलो मान लें कि जैसा चल रहा है एक दिन छोडक़र कर जल प्रदाय हो, तो गर्मियों में क्या दो दिन छोडक़र जल वितरण की व्यवस्था के लिए यह भूमिका तो नहीं, कारण हम सब जानते हैं कि नगर पालिका के पास जल संरक्षण के लिए कोई नीति अथवा योजना तो है नहीं, वाष्पीकरण, जल चोरी, लीकेज इत्यादि की बहाने उस समय बता दिये जाएंगे और हमेशा की तरह जनता ठगी जाएगी। सब तकलीफ जनमानस को ही भुगतनी है, नर्मदा – क्षिप्रा लिंक योजना पर हजारों करोड़ खर्च हुए तब यही कहा गया था, अब उज्जैन की जनता को कभी पानी की दिक्कत नहीं होगी, खर्चा हो गया पर क्या हुआ उस योजना का और उस बकवास का।
सुशील बागरी
यह हैं एक दिन छोडक़र जलप्रदाय के पक्ष में
नपा बोर्ड पानी दे कैसे क्योंकि 11 मोटर लगी है उसमें से चार चालू है 7 खराब है और यही हाल गंभीर डैम के वहां पर है।
कृष्णा यादव
नियमित, क्यों की कई कालोनियों, मोहल्ला में प्रेशर से पानी नहीं आता है, या फिर एक दिन छोडक़र और प्रति रविवार, ओर बड़े त्योहार पर, टर्न हो या ना हो, इससे पानी की बचत भी हो सकती है
सुभाष चतुर्वेदी
एक दिन छोडक़र होना चाहिए ठंड में ज्यादा पानी नहीं लगता है गर्मी में रोज देंगे तो परेशानी नहीं आयेगी क्योंकि गर्मी में कूलर में भी पानी की जरूरत हर व्यक्ति को होती है।
गजेंद्र सोनी
शरद ऋ तु तक एक दिन छोडक़र दिया जाना उचित है वह गर्मी के दिनों में प्रतिदिन पानी की सप्लाई होना जरूरी है
के एल शर्मा
एक दिन छोडक़र गर्मी में रोज और गंभीर में से चोरी नहीं होना चाहिए पानी की बाकी सब ठीक हो जाएगा साथ ही लाइन जहा फूटे वहा तुरन्त ठीक करवाए
दौलत सिंह ठाकुर
अभी तो काम ठीक चल ही रिया है, किंतु दशहरा – दीवाली अई री साफ सफई में जरूरत पड़ी सके है. दीवाली बाद एक दन छोड़ी ने करी सको कई…?
रघुवीर सिंह बैस
एक दिन छोडक़र ही आना चाहिए अभी भी तो काम चल रहा है, फिर गर्मी में परेशानी आती है । पूरे वर्ष ही एक दिन छोड़ कर दे सकते हैं
अनिल कुरील
एक दिन छोडक़र ही आना चाहिए, रोज पानी आता है तो बिना काम के ढोलते लोग, फिर गर्मी में परेशानी आती है।
वंदना जैन
महापौर के यहां बोरिंग है इसलिए ऐसी बात कर रहे हैं
जल प्रदाय रोज होना चाहिए क्योंकि सभी लोगो के यहां बोरिंग नहीं है सिर्फ महापौर जी के यहां बोरिंग है इस लिए महापौर जी ऐसी बाते कर रहे हैं
योगेश चौरसिया
ये जितने भी लोग 1 दिन या 2 दिन छोड़ कर बोल रहे है न उन सभी के यहां बोरिंग और कुआं है, जिन के यहां बोरिंग और कुआं नहीं है उनसे पूछो कि पानी के लिए कितनी तकलीफ उठाना पड़ती है।








