राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण एक बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है. हालांकि, केन्द्र सरकार अपने कर्मचारियों के वर्क फ्रॉम होम के पक्ष में नहीं है. केन्द्र सरकार ने कोर्ट से कहा कि वर्क फ्रॉम होम की बजाय कार पुलिंग, गैर-जरूरी ट्रकों के प्रवेश रोकने जैसे अन्य वैकल्पिक उपाय अपनाएंगे ताकि सड़कों पर चलने वाली गाड़ियों की संख्या में कमी की जा सके. सुप्रीम कोर्ट में दिए अपने हलफनामे में केंद्र सरकार ने बताया कि उनके द्वारा उपयोग किए जाने वाले वाहनों की संख्या राष्ट्रीय राजधानी में कुल वाहनों का एक छोटा अंश है और उनके रोके जाने से दिल्ली की वायु गुणवत्ता में सुधार की दिशा में अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा.
प्रदूषण पर सुनवाई से पहले, पंजाब ने कोर्ट में कहा कि किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए MSP को प्रति क्विंटल 100 रु बढाना चाहिए, पर केंद्र ऐसा नहीं कर रहा. हरियाणा ने कहा कि वह पराली जलाने पर रोक लगाना चाहता है, कुछ थर्मल पावर प्लांट बंद किए हैं. इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए केन्द्र और राज्य सरकारों से कड़े कदम उठाने को कहा था.
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इधर, कमिशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट की वर्चुअल बैठक में भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय के सचिव आरपी गुप्ता, कमीशन के चेयरमैन एमएम कुट्टी, हरियाणा के मुख्य सचिव, डीजीपी प्रशांत अग्रवाल, राजस्थान के मुख्य सचिव, यूपी के मुख्य सचिव, दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी, यूडी, ट्रांसपोर्ट और इंडस्ट्री के अधिकारी मौजूद रहे. इस बैठक में औद्योगिक प्रदूषण, वाहनों से होने वाले प्रदूषण, निर्माण कार्य और तोड़फोड़ से होने वाले प्रदूषण और पॉवर प्लांट से निकलने वाले धुंए पर बात हुई. इसके अलावा, बैठक में जारी की गई गाइडलाइंस पर चर्चा हुई. इस बात पर भी चर्चा हुई की गाइडलाइंस का कड़ाई से पालन नहीं किया जा रहा है.