जिला अस्पताल के ओपीडी में रोजाना पहुंच रहे 50 से अधिक मानसिक रोगी
उज्जैन। एक वर्ष पहले तक जिला अस्पताल की मानसिक रोग विभाग ओपीडी में मानसिक बीमारियों के उपचार के लिये 30 से 35 मरीज रोजाना उपचार के लिये आते थे। अब इनमें लगभग 35 फीसदी इजाफा हो गया है। ज्यादातर डिप्रेशन के शिकार नये मरीज 20 से 35 वर्ष तक की आयु के हैं।
जिला अस्पताल में मानसिक रोग चिकित्सक डॉ. विनीत अग्रवाल ने बताया कि ओपीडी में इस वर्ष की शुरुआत से लेकर अब तक प्रतिदिन 50 से 60 मरीज डिप्रेशन का इलाज कराने आ रहे हैं। इनमें ज्यादातर नये मरीज युवा हैं। जिनकी आयु 20 से 35 वर्ष तक है।
इसके अलावा इससे अधिक उम्र के मरीज भी मानसिक रोगों का उपचार कराने आ रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि एक वर्ष पूर्व तक ओपीडी में मानसिक उपचार के लिये प्रतिदिन 30 से 35 मरीज आते थे। यह आंकड़ अब बढ़ गया है। यहां आने वाले हर आयु वर्ग के मरीज को उनकी समस्या के अनुरूप काउंसलिंग के साथ दवाएं दी जा रही हैं। यहां आने वाले अधिकांश मरीज उपचार पूरा लेने के बाद ठीक भी हो रहे हैं।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कोरोना काल के बाद से मानसिक चिकित्सा ओपीडी में डिप्रेशन के शिकार मरीजों की संख्या लगातार बढ़ी है। युवाओं में इसका प्रभाव अधिक देखा जा रहा है। उन्होंने बताया कि उपचार के लिये आ रहे युवाओं में डिप्रेशन के पीछे कई कारण सामने आ रहे हैं। इनमें सबसे बड़ा कारण समय पर रोजगार का ना मिलना या फिर बेरोजगार हो जाना सामने आ रहा है। परिजन इन लक्षणों पर रखें नजर
डॉ. अग्रवाल ने बताया डिप्रेशन ऐसी बीमारी नहीं जिसका लोग जल्द शिकार हो जाते हैं। यह बीमारी मरीज के मस्तिष्क में धीरे-धीरे घर करती है। बड़ी वजह इसमें तनाव रहता है। ऐसे में मरीज में शुरुआत तौर पर घर में परिवार के सदस्यों के मौजूद रहने के बावजूद अलग रहना, चिड़चिड़ापन और नींद कम आना जैसे लक्षण नजर आते हैं। परिजनों को इस पर नजर रखनी चाहिए तथा आशंका होने पर तत्काल विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।