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गंदगी दबाई घाटों पर, पानी का लेवल बढ़ाया

नगर निगम के दिमागदारों ने कमाल दिखाया

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अक्षरविश्व न्यूज:उज्जैन। नगर निगम में कई दिमागदार बैठे हैं। जनता के आक्रोश को किस तरह दबाना है वे यह अच्छी तरह से जानते हैं। इस बार शिप्रा मैया में पानी का लेवल बढ़ा कर न सिर्फ गंदगी दबा दी, बल्कि आक्रोश भी दबा दिया। अब कार्तिक स्नान करने वाली महिलाएं दीपदान कर रही हैं। इसी जल में उत्तर भारत के लोग छठ पर्व के तहत सूर्य देव के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए अघ्र्य देंगे।

 

पार्षदों को पानी के लिए लोगों के आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है। कहीं घेराव तो कहीं धरना दिया जा रहा है। उधर कार्तिक मेला और इधर शिप्रा का आंचल मैला। पार्षद परेशानी में हैं। एक पार्षद शिप्रा में फैल रही गंदगी देखने गए और फिसल कर चोटिल हो गए। पता चल गया कि वाकई में लोग सही कह रहे हैं। शिप्रा में काई है।

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बाहर से आने वाले श्रद्धालु फिसले और घायल हुए किसी ने ध्यान नहीं दिया। लोगों ने कहा, नगर निगम आयुक्त से संपर्क कीजिए। वहीं पर तैनात एक पंडित ने कहा, जब आयुक्त पार्षद और महापौर की नहीं सुन रहे हैं तो गुजरात से आए इन लोगों की क्या सुनेंगे। बहरहाल, काई से घायल हुए स्नानार्थी अपनी गाड़ी में बैठ कर रवाना हो गए।

पानी बढ़ा दो, गंदगी बैठ जाएगी

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नगर निगम के दिमागदारों ने दिमाग लगाया। गहरे चिंतन के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि इतनी जल्दी शिप्रा में फैल रही गंदगी साफ होना संभव नहीं है। कोई एक घाट नहीं है कि साफ कर दें। कार्तिक स्नान करने वाली महिलाएं तो आ ही रही हैं। उत्तर भारत व्रतधारी भी छठ पर्व मनाने के लिए आएंगे। सूर्य को अध्र्य देंगे। भीड़ बढ़ेगी क्या करें। गणेश विसर्जन और नवरात्रि पर देवी मूर्तियों के विसर्जन से अवशेष घाट पर आकर रुक गए हैं। इन्हें निकालना टेढ़ी खीर है। तीन दिन पहले पानी छोडऩे से शिप्रा का लेवल कम हो गया और गंदगी ऊपर आ गई। मंगलवार को पानी का लेवल बढ़ा दिया गया। गंदगी नीचे बैठ गई। लोग समझ रहे हैं कि शिप्रा में सफाई हो गई, जबकि सफाई हुई ही नहीं।

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