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ढंग से जियो, ढोंग मत करो: आचार्य विशुद्धसागर

अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। विशुद्ध भावों से किया गया तब ही सिद्धि का साधन है। तपस्या आत्म कल्याण के लिए करो बाह्य दिखावे के लिए नहीं। ढंग का जीवन जियो, साधना के क्षेत्र में ढोंग मत करो। अन्य क्षेत्र में किया गया पाप, धर्म क्षेत्र में दूर किया जा सकता है, परंतु धर्म क्षेत्र में किया गया शिथिलाचार, पाप बज्रलैप के समान कठोर होता है जितनी-जितनी भाव विशुद्धि होगी उतना-उतना सुख प्राप्त होगा। तपस्या करो, परंतु जगत की चाहत मत करो।

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हित करें, वही सच्चे बंधु
वह आपके बंधु, हितैशी, मित्र नहीं हैं जो सिनेमाघर ले जाए, अपितु सच्चे हितकारी मित्र वह हैं जो आपको सत्य, संयम और आत्म कल्याण के मार्ग पर लगाएं। जो पाप क्रियाओं में लिप्त करें, वे आपके प्रतिकूल मित्र हैं और जो पाप से रोके, पुण्य से जोड़े वह आपके अनुकूल शत्रु हैं। जो दु:ख में साथ दें, कष्टों से उभार ले, संकटों में भी साथ न छोड़े वहीं सच्चा मित्र है। मित्र तबेले की पैंदी की तरह होना चाहिए। मित्र पारे की तरह न हो। सच्चा मित्र अपना सर्वस्व न्यौछावर कर अपने मित्र की उत्कर्ष के मार्ग पर अग्रसर करता है।

देश के सैनिकों के लिए भी दुआ करो
देश के नागरिक घर में शांति का जीवन जीते उसी समय देश के सिपाही, सैनिक देश की सीमा पर सजगता के साथ खड़े रहते हैं। सच्चा सैनिक अपने प्राण न्यौछावर कर देता है, वह शत्रुओं के समक्ष पीछे नहीं हटता है। सैनिक और साधु एक समान होते हैं। सैनिक शत्रुओं से रक्षा करता है, साधु आंतरिक पापों से रक्षा करते हैं। देश की खुशहाली के लिए देश की सीमा पर खड़े सैनिकों के लिए भी दुआ करना चाहिए।

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संतान को संस्कार भी दो
अपनी संतान को गाली देना नहीं सिखाना। जब उसे पड़ोसी नहीं मिलेगा तो वह घर वालों को ही गाली देगा। संतान को जन्म देना तो चिडिय़ा भी जानती है। संतान को संपत्ति देने के साथ अच्छे संस्कार भी प्रदान करो। संस्कार शून्य संतान शत्रु के समान कष्ट प्रदान करती है। संतान श्रवण कुमार जैसी हो, संतान राम जैसी हो, कुणिक जैसी न हो।
सोमवार को सुबह ७.३० बजे महाराजश्री जयसिंहपुरा स्थित जिनालय में प्रस्वावित मंदिर मंडल का लोकार्पण करेंगे। उनके साथ अन्य मुनिगण भी रहेंगे।

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