गयाकोठा भूलकर ना जाएं, बदबू से बेहोश हो जाएंगे

श्राद्धपक्ष में हजारों श्रद्धालुओं के तर्पण के बाद अब हालात बद से बदतर हुए
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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। अगर आप गयाकोठा मंदिर में दर्शन करने जा रहे हैं या वहां से निकल रहे हैं तो जरा संभलकर जाएं, वहां जाकर आप बेहोश हो सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि जिस जगह पर श्राद्ध पक्ष में श्रद्धालुओं का जमघट लगा था, मंत्र की ध्वनि सुनाई दे रही थी, वहां शुक्रवार को सन्नाटा पसरा था। गंदगी के चलते जो भयावह स्थित श्राद्धपक्ष के पहले थी उससे बदतर हालात अब हो गए। गंदगी और उससे उठती बदबू से खड़ा रहना भी दूभर है। गयाकोठा के संबंध में मान्यता है कि यहां श्राद्धपक्ष में किए गए तर्पण और पिंडदान से बिहार स्थित गयाजी तीर्थ के समान पुण्य मिलता है। हर साल देशभर से श्रद्धालु यहां आकर पितरों के निमित्त श्राद्धकर्म करते हैं।

कमरेनुमा जगह में आराम फरमा रहे थे श्वान
मंदिर के समीप पंडितों के लिए कमरेनुमा जगह भी बनी है। यहां पर श्राद्धपक्ष में पंडितों का डेरा रहा लेकिन अब यहां गंदगी पसरी है। इतना ही नहीं इन कमरेनुमा जगह को स्ट्रीट डॉग ने अपना बसेरा बना लिया है और वहां आराम फरमा रहे हैं।
कुंड में पानी कम कचरा ज्यादा
गयाकोठा मंदिर के समीप ऋषि कुंड की स्थिति वहां के हालात बयां कर रहे थे। कुंड में पानी कम और कचरा ज्यादा था। कचरे के कारण बदबू बाहर रोड तक आ रही थी। इसके अलावा परिसर में कचरा, जूते-चप्पल, बचा हुआ खाना, कपड़े, पॉलीथिन सहित अन्य सामान पड़ा था।
काम अधूरा, राशि की दरकार
गयाकोठा तीर्थ का निर्माण कार्य अधूरा है। करोड़ों की लागत से निर्माण कार्य के पहले चरण की शुरुआत हुई थी। १८ माह में कार्य को पूरा करना था इसलिए निर्माण एजेंसी हाउसिंग बोर्ड ने भी तेजी से काम किया। जिसमें ऋषि कुंड का उन्नयन, पितृकर्म के लिए हॉल एवं सौंदर्यीकरण के काम हुए। राशि के अभाव में काम बंद हो गया। इस बात को ३ साल से ज्यादा वक्त बीत चुका है लेकिन काम फिर से शुरू नहीं हो सका। प्रथम चरण में हुए थे वह भी लगभग बदहाल स्थिति में पहुंच गए हैं।








