सज-संवरकर महिलाओं ने सजाई सुहाग की थाली

पंजाबी महिला विकास समिति के रजत जयंती कार्यक्रम में बढ़-चढक़र महिलाओं ने की भागीदारी
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ग्रुप डांस थीम पर हुआ आयोजन, थाली बांटने की परंपरा भी निभाई
अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। होटल आश्रय में शुक्रवार को महिलाओं की महफिल सजी। २५ साल पहले शुरू हुए करवाचौथ सेलिब्रेशन में 250 से ज्यादा महिलाओं ने उपस्थिति दर्ज करवाई। पंजाबी महिला विकास समिति के इस आयोजन की शुरुआत करवा माता के पूजन से हुई, फिर महिलाओं ने चौथ की कथा सुनी और थाली बंटाने की परंपरा निभाई। इस बीच गीत और डांस के कार्यक्रम भी हुए। समिति अध्यक्ष शालिनी नारंग ने बताया कि 25 साल पहले आयोजन की शुरुआत होटल आश्रय में की गई थी। इसमें नवीनता बनाए रखने के लिए हर साल एक नई थीम रखी जाती है। इस बार की थीम ग्रुप डांस था और इसमें महिलाओं ने भी बढ़-चढक़र हिस्सा लिया। १९वां करवाचौथ मना रहीं नारंग ने कहा एक्साइटमेंट बनाए रखने के लिए हर बार नई थीम होती है, इससे ऐसा लगता है कि जैसे पहला ही करवाचौथ हो। करवाचौथ सेलिब्रेशन में पहुंची डॉ. नेहा शुक्ला बेहद उत्साहित दिखीं। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में हमने खूब एंजॉय किया।
करवा माता मंदिर में पूजन के लिए उमड़ी महिलाओं की भीड़
उज्जैन। अखंड सौभाग्य की कामना के पर्व करवाचौथ पर जीवनखेड़ी स्थित करवा माता के इकलौते मंदिर में शुक्रवार को सुहागिन महिलाओं की भारी भीड़ उमड़ी। यह मंदिर साल में केवल एक बार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (करवाचौथ) पर ही खोला जाता है जिसके कारण महिलाओं में दर्शन के लिए विशेष उत्साह देखा गया। उन्हेल बायपास पर स्थित इस मंदिर में चौथ माता के साथ देवी पार्वती, रिद्धि-सिद्धि, शुभ-लाभ और मां संतोषी भी विराजमान हैं। महिलाएं अखंड सुहाग की कामना के साथ सुहागिनें सुबह से ही मंदिर पहुंचना शुरू हो गई थीं। सभी देवी-देवताओं की विधिवत पूजा-अर्चना करने यहां पहुंचीं। दावा किया जाता है कि पूरे प्रदेश में चौथ माता का यह इकलौता मंदिर है।
तीन रूपों में दर्शन देती हैं मां
मंदिर के पुजारी डॉ. कैलाशचंद्र ने बताया कि करवाचौथ पर दिनभर में हजारों महिलाएं यहां दर्शन के लिए पहुंचीं। उन्होंने देवी प्रतिमा की विशेषता के संबंध में महिलाओं को बताते हुए कहा कि माता यहां तीन अलग-अलग रूपों में दर्शन देती हैं। सुबह बाल रूप, दोपहर में किशोरी रूप और शाम को वृद्ध रूप में।
प्रसाद में मिलता है मां कामाख्या का सिंदूर
पुजारी ने बताया कि मंदिर में सभी माताओं-बहनों को नि:शुल्क प्रसाद के रूप में मां कामाख्या का सिंदूर, नेपाल का सिक्का और रुद्राक्ष दिया गया। इस सामग्री को घर में रखने से सुख-समृद्धि, वैभव और धन-संपत्ति में वृद्धि होती है और मां का आशीर्वाद बना रहता है। इस वर्ष मंदिर परिसर में कथा का आयोजन भी किया जा रहा है। दर्शन के लिए केवल सुहागिन महिलाएं ही नहीं, बल्कि युवतियां भी अच्छे वर की कामना लेकर मंदिर पहुंचीं और पूजन किया।










