शहर में गहराने लगा पेयजल संकट लोग बर्तन लेकर सडक़ पर उतरे

कहीं कम दबाव से तो कहीं मटमैला और बदबूदार पानी आ रहा नलों से

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अक्षरविश्व न्यूज|उज्जैन। शहर में एक दिन छोडक़र जलप्रदाय व्यवस्था शुरू करने से पहले जनप्रतिनिधियों और अफसरों ने दावा किया था कि शहरवासियों को पूरे दबाव से पेयजल सप्लाय किया जाएगा जिससे वह दो दिन तक पानी स्टोर कर सकते हैं, लेकिन इस दावे की पोल खुलने लगी है। शहर के कई इलाकों में कम दबाव से पानी आ रहा है तो कहीं मटमैला और बदबूदार पानी नलों से आ रहा है। ऐसे में लोग पीने के लिए तो ठीक दूसरे काम के लिए उपयोग हेतु भी पानी स्टोर नहीं कर पा रहे।

बिलौटीपुरा क्षेत्र के रहवासियों ने बताया कि उनके क्षेत्र में पिछले चार दिनों से पेयजल सप्लाय नहीं हो रहा। नलों से पानी नहीं आने के कारण रहवासी परेशान हैं। प्राइवेट बोरिंग से पीने का पानी लेकर आना पड़ रहा है। घर के दूसरे उपयोग के लिए पानी नहीं है। पीएचई अफसरों से शिकायत की तो लाइन में खराबी होने की बात कह रहे हैं लेकिन सुधार कार्य नहीं हो रहा।

वार्ड क्रमांक 5 की कॉलोनियों में टाटा कंपनी द्वारा सीवर लाइन प्रोजेक्ट का काम किया जा रहा है। ठेकेदार के कर्मचारी यहां सडक़ खुदाई के दौरान पेयजल सप्लाय की लाइनें फोड़ रहे हैं। खास बात यह कि गैस लाइन और पुरानी चैम्बर की लाइन को भी खुदाई के दौरान जेसीबी से तोड़ा जा रहा है। इस कारण अनेक कालोनियों में पेयजल सप्लाय के दौरान सीवर लाइन का पानी नलों से घरों तक पहुंच रहा है। रहवासियों का कहना है कि पीएचई द्वारा एक दिन छोडक़र जलप्रदाय किया जा रहा है ऐसे में सीवर लाइन का दूषित पानी कैसे स्टोर कर सकते हैं। क्षेत्र में बोरिंग, हैंडपंप या कुआं भी नहीं है। पीने के लिए बाजार से पानी खरीदकर ला रहे हैं।

टैंकर का पानी पीने योग्य नहीं

पीएचई के पास छोटे बड़े मिलाकर करीब 45 पानी के टैंकर अलग-अलग क्षमता के हैं जिनमें ट्रक भी शामिल हैं। इन टैंकरों को इंटकवेल और बोरिंग व सम्पवेल से भरा जाता है, लेकिन टैंकर का पानी पीने योग्य नहीं होता। इस पानी का उपयोग रोटरी में लगे पेड़, पौधों, उद्यानों और सुलभ काम्पलेक्स की टंकी भरने में किया जाता है। फिलहाल जिन क्षेत्रों में कम दबाव से अथवा पेयजल की समस्या है वहां टैंकरों से पानी सप्लाय नहीं किया जा रहा है।

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