नई कंपनी में आ जाते थे पुराने कर्मचारी
शुरू हो जाता था भ्रष्टाचार का पूरा खेल
कुछ और भी किरदार हैं जो संदिग्ध हैं
अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। महाकाल मंदिर में हुए भ्रष्टाचार की कहानी बड़ी उलझी हुई है। इसमें पैसा है, डर है, लिहाज है और चालाकी भी है। पटकथा लिखने वाले पाश्र्व में हैं। प्रशासन दावा तो कर रहा है कि ७० प्रतिशत पिक्चर अभी बाकी है। लोगों को गोलमाल-4 की तरह इस भ्रष्टाचार की फिल्म के पूरे होने का इंतजार है। और कितने किरदार हैं जो पर्दे पर आना शेष हैं। यदि सूत्रों पर भरोसा करें तो महाकाल के अपराधी शतक पूरी कर लेंगे। अब देखना है कि यह कांड किस मोड़ पर जाता है।
महाकाल मंदिर समिति के कर्मचारियों पर समिति को बहुत भरोसा था। समिति के कर्मचारियों ने ही चंद रुपयों के लालच में भरोसा तोड़ दिया और भ्रष्टाचार में लिप्त हो गए। इस पूरे कांड को कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने उजागर किया, लेकिन एक बात पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। महाकाल मंदिर से जुड़े अदने से कर्मचारियों को पता था कि पैसा लेकर भस्मार्ती में प्रवेश दिलाया जा रहा है। पैसा लेकर नंदी हॉल में बैठाया जा रहा है। शहर के लोगों को पता था। मीडिया को पता था, समाचार लिखे जा रहे थे। लेकिन मंदिर समिति जो व्यवस्था के प्रति जिम्मेदार है उसे कुछ पता नहीं था। यह कैसे संभव है? सदस्यों मंदिर समिति की बैठक में सवाल क्यों नहीं उठाए गए?
चौंका दिया चावड़े ने, प्रशासन ध्यान दे
क्रिस्टल कंपनी के सुपरवाइजर भ्रष्टाचार में लिप्त थे। पकड़ा गए और जेल जेल चले गए। कंपनी पर सवाल उठ रहे हैं। भ्रष्ट कर्मचारियों को नियुक्ति क्यों दी? क्या ईमानदारों की खेप खत्म हो गई है? अब सुनिए क्रिस्टल कंपनी के प्रभारी अजय चावड़े क्या खुलासा कर रहे हैं।
क्रिस्टल कंपनी ने खोजबीन कर 628 कर्मचारियों को तैनात किया था। हम पर दबाव आया। नेता, अधिकारी, पंडित, पुजारी, समिति और रसूखदारों ने कहा इन्हें रख लीजिए। रखना पड़ा। इनमें अधिकांश वे हैं जो मंदिर में बरसों से काम कर रहे थे। पूर्व में तैनात कंपनी में भी यही भ्रष्ट लोग काम कर रहे थे। दबाव डलवा कर यह आने वाली कंपनी में प्रवेश कर जाते थे।आखिर कब तक बचते। बेनकाब हो गए और जेल चले गए।
क्रिस्टल कंपनी में भर्ती और दखल
संदीप सोनी के कार्यकाल में क्रिस्टल कंपनी का आगमन हुआ। करार हुआ कि हम कर्मचारी मुहैया कराएंगे, काम आपको लेना है। कंपनी ने 628 कर्मचारी दिए। सुबह 244 दोपहर में 244 और रात में 140 कर्मचारी ड्यूटी दे रहे हैं। जब कंपनी आई तब उसके प्रभारी संतोष टेसला और सहायक प्रभारी विजय कापर थे। इन दोनों को कंपनी ने कहीं और भेज दिया। वर्तमान में अजय चावड़े प्रभारी हैं।
होमगार्ड प्रभारी की भूमिका
क्रिस्टल कंपनी ने कर्मचारी दिए। अब इन्हें तैनात करने की जिम्मेदारी होमगार्ड प्रभारी की थी। जब कंपनी ने महाकाल मंदिर में कदम रखे तब होम गार्ड प्रभारी थीं रूबी यादव। उन्होंने ने सभा मंडप, नंदी हाल और प्रमुख स्थानों पर इन कर्मचारियों को तैनात क्यों किया? प्रशासन सवाल करे। महाकाल मंदिर के सामने दीवार गिरी। रूबी को हटा दिया गया। कुछ समय के लिए अजय बामनिया को प्रभार दिया गया। वर्तमान में हेमलता पाटीदार के पास चार्ज है।
प्रशासन ने इनसे भी सवाल नहीं किए। मंदिर से निकल कर रही चर्चाओं पर यकीन करें तो कहा जा रहा है कि होम गार्ड प्रभारियों ने ही भ्रष्ट लोगों को मनचाही बीट पर रखा। यानी मामला यहां भी गड़बड़ है। यदि प्रभारी की मिलीभगत नहीं है तो ड्यूटी रोटेशन में क्यों नहीं लगाई गई? जब पता था कि ये कर्मचारी पुराने हैं, 20-25 साल से काम कर रहे हैं तो इन्हें किसी बाहरी गेट पर क्यों नहीं लगाया गया? प्रशासन सवाल करे? सवाल होंगे तो यकीनन और भी किरदार सामने आएंगे।