Friday, September 22, 2023
Homeउज्जैन समाचारभक्तामर का हर काव्य प्रभु भक्ति के लिए

भक्तामर का हर काव्य प्रभु भक्ति के लिए

व्याख्यान में डॉ. अनीश जैन ने कहा-बिना स्वार्थ श्लोक उच्चारण से ही होगा कल्याण

अक्षरविश्व प्रतिनिधि .उज्जैन। भक्तामर स्त्रोत के प्रत्येक काव्य का विशेष महत्व है। हरकाव्य प्रभु भक्ति के लिए है और इनके पाठ का तरीका और उच्चारण अलग-अलग है। भक्तामर स्त्रोत पाठ का फल तभी प्राप्त होगा, अगर यह स्वयं की बजाय दूसरों के कल्याण के लिए किया जाए।

यह बात कालिदास अकादमी में आयोजित भक्तामर पर अपने व्याख्यान में डॉ अनीश जैन ने कहीं। भक्तामर स्त्रोत पाठ के तरीके, उच्चारण और उससे होने वाले फायदे के बारे में उन्होंने कहा कि भक्तामर स्त्रोत के कुल 48 काव्य है। हर काव्य में प्रभु भक्ति को महत्व दिया गया है। 1-1 काव्य को पढऩे, उसके उच्चारण करने का तरीका अलग-अलग है लेकिन हरकाव्य प्रभु आराधना के लिए है।

prabhu

उन्होंने बताया कि प्रभु के भक्त मानतुंगाचार्य ने जब भक्तामर पाठ किए तो उन्होंने इसके प्रति फल के रूप में स्वयं के लिए कभी प्रभु से कुछ नहीं मांगा। उन्होंने हमेशा दूसरों के कल्याण की कामना प्रभु से की। इससे उनका भी कल्याण हुआ। भक्तामर स्त्रोत का पाठ अगर निस्वार्थ भाव से दूसरों के कल्याण के लिए किया जाए तो स्वत है इसका लाभ हमें प्राप्त हो जाता है। निस्वार्थ भाव से किए गए भक्तामर पाठ में हर समस्या का निवारण है।

अमेरिका में स्वीकार किया था चैलेंज

श्री लक्ष्मी नगर दिगंबर जैन मंदिर ट्रस्ट से जुड़े चितरंजन जैन ने बताया कि भक्तामर स्त्रोत के प्रणेता डॉ. अनीश जैन ने अमेरिका के एक डॉक्टर का चैलेंज स्वीकार करते हुए वेंटिलेटर पर रखे गए एक व्यक्ति को भक्तामर स्त्रोत के माध्यम से ठीक करने का संकल्प लिया था।

उन्होंने भक्तामर स्त्रोत के श्लोक का पाठ कर मरीज को बगैर उपचार के ठीक कर दिया था। इसी के चलते उन्हें पीएचडी की उपाधि के साथ भक्तामर हीलर की उपाधि प्राप्त हुई। उन्होंने श्री लक्ष्मी नगर दिगंबर जैन मंदिर में विधान संपन्न कराया।

जरूर पढ़ें

मोस्ट पॉपुलर