प्रापर्टी टैक्स कम चुकाने वालों पर बढ़ सकता है भार
अक्षरविश्व न्यूज.उज्जैन। नगर निगम द्वारा शहर में बनी हर संपत्ति का जीआइएस सर्वे के अनुसार सत्यापन करवाया जा रहा है, ताकि संपत्ति की गणना उसके क्षेत्रफल और उपयोग के अनुसार निर्धारित की जा सके। इससे नगर निगम की आय में तो इजाफा होगा ही, वहीं जानबूझकर कम प्रापर्टी टैक्स जमा करने वालों पर लगाम भी कसी जाएगी।
गौरतलब है कि नगर निगम से अनुबंधित भोपाल की अखिल भारतीय स्वराज शासन संस्थान ने शहर के 54 में से 40 वार्डों की 65 हजार संपत्तियों का भौगोलिक सर्वेक्षण पूरा कर लिया है। सर्वेक्षण रिकॉर्ड का मिलान प्रत्येक व्यक्ति को मिली भवन निर्माण-अनुज्ञा से मुख्यालय में किया जा रहा है। वास्तविक जानकारी छुपाकर प्रापर्टी टैक्स कम चुकाने वालों के नाम जल्द सामने आने वाले हैं।
सर्वे के मुताबिक अब हर संपत्ति का ब्योरा निगम के पास होगा। सर्वे के बाद इसे निगम की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा। इसके तहत भवन मालिक, भवन का खाता नंबर, प्लॉट नंबर, मालिक का नाम, फोन नंबर आदि जानकारी ऑनलाइन रहेगी। सर्वे के जरिये यह भी पता चलेगा कि कितने घर ऐसे हैं जिनका आकार अधिक है लेकिन टैक्स कम दे रहे हैं। ऐसे में कर के साथ ही वाटर और सीवर टैक्स भी बढ़ेगा।
यह भी जानिये
- सर्वे रिपोर्ट से नए संपत्तिकर दाताओं का पता चलेगा।
- वास्तविक संपत्तिकर का आंकलन किया जा सकेगा।
- निगम के कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से संपत्तियों की निगरानी की जाएगी।
- नागरिक अपनी संपत्ति का रिकॉर्ड निगम के पोर्टल पर देख सकेंगे।
अब तक यह थी स्थिति
शहर के भीतर ऐसे भी क्षेत्र हैं जहां पर निर्माण की अनुमति लिए बिना ही बड़ी संख्या में मकान बनाए गए हैं। जिसमें अधिकांश से अब तक किसी तरह का टैक्स नहीं वसूला जा रहा है। अब नगर निगम शहर के भीतर हर निर्माण की गणना करेगा चाहे वह निगम द्वारा स्वीकृत हो या नहीं। इसके बाद सभी में शासन के नियमों के मुताबिक संपत्तिकर एवं टैक्स लगाया जाएंगे। गाइडलाइन में कहा गया है कि कोई भी संपत्ति नहीं छूटना चाहिए, उसका क्षेत्रफल एवं उपयोग का हिस्सा देखा जाएगा।
यह है जीआइएस सर्वे
जीआईएस एक भू-विज्ञान सूचना प्रणाली है। यह संरचनात्मक डाटाबेस पर आधारित है। यह भौगोलिक सूचनाओं के आधार पर जानकारी प्रदान करती है। संरचनात्मक डाटाबेस तैयार करने के लिए वीडियो, भौगोलिक फोटोग्राफ और जानकारियों के आधार का कार्य करती हैं। ड्रोन के जरिये भी नगर निगम क्षेत्र का सर्वे होगा। हालांकि नगर निगम के कर्मचारी संपत्तियों के सत्यापन का कार्य करते रहेंगे।