निगम अफसरों पर हाईकोर्ट की सख्त कार्यवाही

बगैर कमीशन नहीं होता काम, 55 करोड़ रुपए अटके, नगर निगम बिल्डर्स एसोसिएशन ने फैसले का किया स्वागतठेकेदार का
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- भुगतान नहीं करने वाले अफसरों का आधा वेतन कटेगा
- चीफ जस्टिस ने निगम के कामकाज पर जताई गहरी नाराजगी
- निगमायुक्त ने कहा आदेश देखने के बाद ही कुछ कह सकूंगा..
उज्जैन। लापरवाही, लेतलाली, अनियमितता और कमीशनखोरी के लिए बदनाम उज्जैन नगर निगम के अफसरों की कार्यशैली पर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने गहरी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने चार साल से एक बिल का भुगतान नहीं करने पर जमकर लताड़ लगाते हुए जिम्मेदारों का वेतन आधा करने का कहा है। इतना ही नहीं उन्होंने चार सप्ताह में ठेकेदार को राशि चुकाने का आदेश दिया है। राशि नहीं चुकाने पर निगमायुक्त के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाएगी। निगमायुक्त का कहना है कि वह आदेश देखने के बाद ही कुछ भी टिप्पणी करेंगे।

चीफ जस्टिस को यह कड़ी प्रतिक्रिया ठेकेदार विमल जैन की याचिका पर सुनवाई के दौरान करनी पड़ी। दरअसल जैन ने इंदिरानगर स्थित गंधर्व तालाब के सौंदर्यीकरण के ठेका बिड में हासिल किया था। जनवरी 2020 में नगर निगम उज्जैन ने तालाब सौंदर्यीकरण के लिए 2.19 करोड़ की निविदा जारी की थी। विमल जैन ने फरवरी 2020 में 1.97 करोड़ में यह ठेका हासिल किया था। उन्होंने निगम अफसरों के सुपरविजन में काम शुरू किया लेकिन एक तिहाई निर्माण होने के बाद उन्हें यह कहकर काम करने से रोक दिया गया कि फंड नहीं है।
तब तक विमल जैन 69 लाख रुपए का काम कर चुके थे। अपनी इस राशि को हासिल करने के लिए उन्होंने निगम कार्यालय में बिल प्रस्तुत किया। ऑडिट के बाद बिल स्वीकृत भी हो गया लेकिन उन्हें भुगतान नहीं किया गया। वह अपनी राशि हासिल करने के लिए निगम अफसरों से फरियाद करते रहे लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी। इस दौरान चार आयुक्त बदल गए। जनवरी 2024 में उन्होंने भुगतान के लिए हाई कोर्ट का रुख किया। मंगलवार केा चीफ जस्टिस के सामने यह मामला पहुंचा तो उन्होंने निगम की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठा दिए।
क्या कहा चीफ जस्टिस ने
महाकाल की नगरी उज्जैन में निगम अधिकारी अकाल ढा रहे हैं। सरकार इसकी जांच करें।
अगर वास्तव में निगम की आर्थिक हालत खराब है तो सरकार इसे अपने अधीन ले ले।
जब तक ठेकेदार का भुगतान नहीं होता, जिम्मेदार अफसरों का वेतन आधा कर दिया जाए।
चार सप्ताह में ठेकेदार को सारी राशि का भुगतान किया जाए। अन्यथा निगमायुक्त के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाए।
55 करोड़ रुपए बकाया हैं ठेकेदारों के
बिल भुगतान करने के मामले में उज्जैन नगरनिगम एकदम फिसड्डी है। पिछले चार साल से निगम में काम करने वाले ठेकदार इसे लेकर परेशान हैं। पहले कोरोना का हवाला देकर बिल रोका जाता था, अब कमीशन के चक्कर के भुगतान नहीं हो रहा है। उज्जैन नगर निगम बिल्डर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नीलेश अग्रवाल (भाया) कहते हैं कि बिल भुगतान नहीं होने से कई ठेकेदारों ने तो काम करना ही बंद कर दिया है। वह ठेकेदारी छोड़कर दूसरे काम कर रहे हैं। अब निगम में केवल डिपाजिट वर्क हो रहे हैं और वह भी बाहर के ठेकेदार कर रहे हैं। करीब 55 करोड़ रुपए का भुगतान अटका हुआ है। हाल यह है कि उज्जैन नगर निगम का ठेका कोई नहीं लेना चाहता। कोर्ट के फैसले का स्वागत है। इससे अन्य ठेकेदारों को भी राह मिलेगी।
एडवांस में लिया जा रहा कमीशन
निगम सूत्रों के मुताबिक पिछले एक साल में निगम का ढर्रा चरमरा गया है। यहां एडवांस में कमीशन लेकर काम दिया जा रहा है। यह दर 5 से 10 फीसदी तक है। जो ठेकेदार भुगतान कर देता है, उसे काम भी मिल जाता है और भुगतान भी। जो कमीशन नहीं देता, उसे ना काम मिलता है, ना ही भुगतान होता है और वह परेशान होता रहता है।
अभी आदेश नहीं देखा है
अभी हाई कोर्ट का आदेश नहीं देखा है। आदेश देखने के बाद ही कुछ भी कह सकूंगा।-आशीष पाठक, निगमायुक्त









