कल भस्मार्ती में अर्पित करेंगे हर्बल गुलाल
सिंहपुरी में 5 हजार कंडों की ईको फ्रेंडली होली
उज्जैन। श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मेें गुरुवार शाम होली पर्व मनाया जाएगा। मंदिर परिसर स्थित ओंकारेश्वर मंदिर के सामने सबसे पहले होलिका दहन किया जाएगा। संध्या आरती में भगवान महाकाल को परंपरा का निर्वहन करते हुए हर्बल गुलाल अर्पित किया जाएगा। इसके लिए सुबह से मंदिर परिसर में तैयारियां चलती रहीं।
दरअसल, श्री महाकालेश्वर मंदिर में पारंपरिक रूप से सबसे पहले होली मनाई जाती है। शाम ७.३० बजे पुजारी परिवार की महिलाएं पूजन करेंगी जिसके बाद होलिका दहन किया जाएगा। हालांकि, इस बार मंदिर में रंग-गुलाल लाने और खेलने को प्रतिबंधित किया गया है, इस कारण सुरक्षाकर्मी और कर्मचारी सुबह हर श्रद्धालु की चैकिंग करते रहे। १४ मार्च को तडक़े भस्मार्ती में पुजारियों द्वारा बाबा महाकाल को सीमित मात्रा में हर्बल गुलाल अर्पित किया जाएगा। साथ ही बतौर नई फसल गेहूं की बालियां चढ़ाकर परंपरा का निर्वहन किया जाएगा।
दिनचर्या के साथ बदलेगा आरतियों का समय
चैत्र कृष्ण प्रतिपदा (15 मार्च) से भगवान महाकाल की दिनचर्या के साथ आरतियों का समय भी बदल जाएगा। मंदिर की पूजन परंपरा में इस दिन से गर्मी की शुरुआत मानी जाती है इसलिए बाबा महाकाल को ठंडे जल से स्नान करवाया जाएगा। यह क्रम शरद पूर्णिमा तक चलेगा। इस दौरान प्रतिदिन होने वाली पांच आरतियों में से तीन का समय भी बदल जाएगा।
जिसके तहत दद्योदक आरती अब सुबह 7 से 7.45 बजे तक, भोग आरती सुबह 10 से 10.45 बजे तक और संध्या आरती शाम 7 से 7.45 बजे तक होगी, जबकि वर्तमान में दद्योदक आरती सुबह ७.३० बजे से ८.१५ बजे तक, भोग आरती १०.३० से ११.१५ बजे तक और संध्या आरती ६.३० से ७ बजे तक हो रही है। भस्मार्ती तडक़े ४ से ६ बजे तक और शयन आरती रात 10.30 से 11 बजे तक अपने पहले के समय पर ही होगी।
होलिका दहन पर भद्रा का रहेगा साया
होलिका दहन पर इस बार भद्रा का साया रहेगा। गुरुवार सुबह १०.२३ बजे से पृथ्वीवासी भद्रा की शुरुआत हुई जो रात ११.३० बजे तक रहेगी। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक धर्मशास्त्र में भद्रा को लेकर अलग-अलग तरह के मत हैं। खासकर भद्रा के वास को लेकर शास्त्रों में कई निर्देश दिए हैं क्योंकि भद्रा का वास आकाश, धरती और पाताल तीनों में रहता है।
हर लोक में इसके वास का प्रभाव अलग बताया गया है। इस बार गुरुवार को भद्रा का वास पृथ्वी पर है जो ठीक नहीं माना जाता। ऐसे में शास्त्र का मत है कि विशेष पर्वकाल के समय भद्रा पूंछ पर विचार करना चाहिए क्योंकि इसमें कई नाडिय़ां होती हैं और हर नाड़ी का अलग प्रभाव होता है। इनके चौथे भाग में भद्रा का दोष मान्य नहीं रहता इसलिए गुरुवार को भद्रा के पूंछ वाले भाग में शाम ७.४० बजे के बाद होलिका का पूजन किया जा सकेगा। वहीं होलिका दहन भद्रा समाप्ति के बाद होगा।
धुलेंडी पर होगा शहर में अतिरिक्त जलप्रदाय
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग संधारण खंड नगर पालिक निगम द्वारा धुलेंडी और रंगपंचमी पर अतिरिक्त जलप्रदाय दोपहर में किया जाता है। पीएचई कार्यपालन यंत्री केदार खत्री ने बताया कि प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी दोपहर में शहर के सभी क्षेत्र में अतिरिक्त जलप्रदाय किया जाएगा। यह व्यवस्था रंगपंचमी पर भी रहेगी।
भांग चढ़ी तो इंजेक्शन से उतारेंगे नशा
धुलेंडी पर्व शांति और सौहाद्र्र से मनाने को लेकर पुलिस प्रशासन ने अपने अपने स्तर पर तैयारियां की हैं, वहीं दूसरी ओर अस्पताल प्रशासन भी इसे लेकर सतर्क है। सिविल सर्जन डॉ. अजय दिवाकर ने बताया कि होली खेलने के दौरान कई बार विवाद और मारपीट होती है, इसके अलावा कई लोग शराब, भांग का नशा भी करते हैं जिनकी हालत बिगडऩे पर परिजन उन्हें अस्पताल लेकर आते हैं। चरक अस्पताल स्टॉफ को ऐसी स्थिति में अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा मेडिसिन के दो-दो डॉक्टर्स की 8-8 घंटे की शिफ्ट में ड्यूटी लगाई गई है। नशे की हालत में यदि कोई अस्पताल आता है तो इंजेक्शन व अन्य दवाओं के माध्यम से उसका इलाज किया जाएगा।