चिकित्सा की दुनिया पर मानव जिंदगी की निर्भरता कितनी है यह तो हम सभी जानते हैं। भीषण महामारी हो या गंभीर बीमारी इलाज के बाद ठीक होने की उम्मीद होती है लेकिन अगर यही इलाज हमें मौत के दरवाजे तक ले जाए तो फिर क्या हो? डिजनी प्लस हॉटस्टार की नई वेबसीरीज ‘ह्यूमन’ इसी सवाल के उत्तर देती नजर आती है। 10 एपिसोड के इस सीरीज का निर्देशन विपुल अमृतलाल शाह और मोजेज सिंह ने किया है। एक बांधे रखने वाली पटकथा, बार-बार डरावनी यात्राओं की मदद से यह पूंजीवाद के खतरनाक स्वरूप को दिखाती है।
क्या है कहानी
वेब सीरीज में दो महत्वाकांक्षी डॉक्टर्स गौरी नाथ (शेफाली शाह) और सायरा सबरवाल (कीर्ति कुल्हारी) हैं। कहानी की शुरुआत समाज के वंचित वर्ग पर अवैध नशीली दवाओं के परीक्षण से होती है। अपराधी मोहन वैद्य और उनके बेटे अशोक वैद्य द्वारा संचालित वायु फार्मास्यूटिकल्स और न्यूरोसर्जन गौरी नाथ का मल्टीस्पैशलिएटी हॉस्टिपटल मंथन है। वैद्य जानते हैं कि दवा एस93आर पश्चिम में बैन है लेकिन कोविड 19 का वैक्सीन बनाने की कोशिश में उन्हें जो घाटा हुआ है उसके बाद वह इसे सुपरमेडिसिन बनाना चाहते हैं।
जब उलझती है कहानी
मंगू (विशाल जेठवा) नाम का युवा अपने माता-पिता को एक दवा की टेस्टिंग के लिए उन्हें मनाता है। उसका मानना है कि इससे मिलने वाले पैसे से उन्हें गरीबी से बाहर निकलने में मदद मिलेगी। मामला तब उलझ जाता है जब उसकी मां पर दवा का रिएक्शन होता है और मौत हो जाती है। आगे सवाल यह उठता है कि इसके लिए क्या दोषियों को सजा मिल पाएगी, जहां नेता, बिजनेसमैन और डॉक्टर्स सभी शामिल हैं।
शेफाली शाह का दमदार किरदार
‘ह्यूमन’ की सराहना के लिए बहुत कुछ है। इसका थीम, पटकथा और फिल्ममेकिंग का जबरदस्त काम। इन सबके बीच सारा ध्यान शेफाली शाह पर रहता है। यह उनके करियर के सर्वश्रेष्ठ कामों में से है। गौरी जब पर्दे पर बोलती हैं तो सभी ध्यान से सुनते हैं।
सायरा का किरदार गौरी के हर एक कदम को फॉलो करता है। शायद यह जानबूझकर ही किया गया है। उसे अचानक अपराधबोध का अहसास होता है और सही चीजें करने की कोशिश करती दिखती हैं। मंगू के किरदार को काफी विस्तार दिया गया है। मर्दानी 2 के बाद विशाल जेठवा प्रभावित करते हैं।