भगवान भाव एवं प्रेम के भूखे

उज्जैन। भगवान कृपा करने के लिए मनुष्य की योग्यता नहीं देखते हैं। उसके भाव व भक्ति का दर्शन करते हैं। योग्यता देखना संसार का काम है, योग्य बनाना भगवान का काम है। भगवान भाव एवं प्रेम के भूखे हैं। यह उद्गार सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा रसपान महोत्सव एवं 108 भागवत पारायण में आचार्य डॉ. गोस्वामी पू.पा. बृजोत्सव महाराज इंदौर ने व्यक्त किए। महाकाल परिसर, हीरा मिल रोड़ पर चल रही कथा में वि_ल नागर, राजेन्द्र शाह, जयेश श्रॉफ, आनंद पुरोहित, विशाल नीमा, अमर दिसावल, अमित नागर, राजश्री दिसावल, पारुल शाह, हेतल शाह आदि उपस्थित रहे।

Related Articles