पीएचई के कार्यपालन यंत्री ने नए स्टॉफ के साथ संभाली कमान, बोले…शुद्ध पेयजल सप्लाय प्राथमिकता
अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। हर साल की तरह इस साल भी शहर को जलसंकट का सामना करना पड़ेगा। गंभीर डेम पूरी क्षमता से भरने के बाद भी शहर में मांग के अनुसार पानी उपलब्ध नहीं है। पीएचई ने संभावित जलसंकट को लेकर प्लान बनाना शुरू कर दिया है। आज की स्थिति में डेम में स्टोर पानी को यदि 30 जून तक चलाना है तो 20 मार्च से शहर में एक दिन छोडक़र जलप्रदाय करना होगा।
शहर में जलप्रदाय के मुख्य स्त्रोत
शहर में जलप्रदाय का मुख्य स्त्रोत गंभीर डेम है। इसकी क्षमता 2250 एमसीएफटी है। इसमें बारिश के दौरान ही पानी स्टोर होता है। पिछले वर्ष अच्छी बारिश के चलते डेम पूरी क्षमता से भरा और स्थिति यह रही कि डेम के गेट खोलना पड़े थे। मानसून सीजन के 3 माह छोड़ दें तो डेम में स्टोर पानी को 9 माह के लिए जलप्रदाय के उपयोग में लिया जाता है। इसके अलावा साहेबखेड़ी तालाब और उंडासा तालाब के पानी का उपयोग भी जलप्रदाय के लिए होता है। कुछ वर्षों पहले तक शिप्रा नदी के पानी का उपयोग भी जलप्रदाय कि लिए होता था लेकिन उसमें कान्ह का दूषित और केमिकल युक्त पानी मिलने के कारण अब शिप्रा के पानी को पेयजल प्रदाय के उपयोग में नहीं लिया जाता।
यह है नए इंजीनियर्स के लिए चुनौती
पीएचई अफसरों के लिए शहर में शुद्ध पेयजल प्रदाय करना सबसे बड़ी चुनौती है। जेएनएनयूआरएम योजना में शहर में पेयजल सप्लाय की नई पाइप लाइन डाली गई थी उसके बावजूद आधे से अधिक हिस्सों में नलों से साफ पानी सप्लाय नहीं होता। कई क्षेत्रों में स्थिति यह है कि नलों में आने वाला पानी पीने योग्य भी नहीं है। शहर की खस्ताहाल पेयजल सप्लाय व्यवस्था को लेकर पिछले दिनों शासन ने कार्यपालन यंत्री का तबादला किया और पीएचई में स्टाफ को बढ़ाने के लिए 11 नए उपयंत्रियों को पदस्थ किया गया। अब देखना यह है कि नए अफसरों की टीम शहर में पेयजल सप्लाय, शिप्रा नदी में मिलने वाले नालों की रोकथाम, टाटा प्रोजेक्ट को तेजी से पूरा करने की जिम्मेदारी किस तरह पूरी कर पाती है।
क्या प्लान कर रहे नए अफसर
पीएचई के कार्यपालन यंत्री केदार खत्री ने चर्चा में बताया कि शहर में शुद्ध पेयजल प्रदाय करना प्राथमिकता है। इसके लिए शासन ने 11 इंजीनियरों की टीम को पदस्थ किया है। फिलहाल 7 उपयंत्री ज्वाइन हो चुके हैं। उन्हें शहर की पेयजल व्यवस्था को समझने का समय दिया है। हमारा उद्देश्य है कि नागरिकों को पेयजल प्रदाय से संबंधी कोई समस्या न हो। इसके अलावा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, टाटा प्रोजेक्ट, शिप्रा नदी में मिलने वाले नालों को रोकने पर भी काम किया जाना है।
दो सहायक यंत्रियों को शिप्रा नदी में मिलने वाले नालों का मुआयना करने, एक उपयंत्री को हरिफाटक से मुल्लापुरा तक बनने वाले फोरलेन में प्रभावित होने वाले गऊघाट जलयंत्रालय के प्रोजेक्ट को समझने का काम सौंपा गया है। उक्त अधिकारी समय-सीमा में अपनी रिपोर्ट देंगे। खत्री ने बताया कि उज्जैन शहर हमारे लिए नया नहीं है। पूर्व के दो सिंहस्थ में भी काम कर चुके हैं। इसके अलावा पूर्व में पदस्थ रह चुके इंजीनियर, किसी कारण से निलंबित हुए उपयंत्री से भी बातचीत चल रही है। उन्हें टीम के साथ जोडऩे और उनके अनुभव का लाभ लेने के प्रयास किए जा रहे हैं।
1500 ट्यूबवेल की जांच, समस्या दूर करेंगे
पीएचई अफसरों द्वारा संभावित पेयजल संकट की स्थिति को देखते हुए शहर के 1500 ट्यूबवेल की जांच भी कराई जा रही है। यदि शहर में एक दिन छोडक़र जलप्रदाय किया जाता है तो अधिकांश लोग ट्यूबवेल पर आश्रित होंगे। उनकी मोटर आदि चैक कराए जा रहे हैं।