नागदा के मंसूरी क्लीनिक में अवैध गर्भपात प्रतिबंधित दवाओं का हो रहा विक्रय बेखौफ

मौत का खेल-स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई से पहले ही डॉक्टर फरार, सवाल डॉक्टर को सूचना किसने दी?
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अक्षरविश्व न्यूज. नागदा (दीपक पांचाल)। शहर में चिकित्सा व्यवस्था को शर्मसार करने वाला एक गंभीर मामला सामने आया है। जहां मंसूरी क्लीनिक नामक चिकित्सा केंद्र में बिना योग्यता के डॉक्टर द्वारा अवैध गतिविधियां संचालित की जा रही थीं। जब स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर जांच के लिए पहुंची, तो डॉक्टर सलीम खान ताला लगाकर क्लीनिक से गायब हो गया।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है- जांच से पहले सूचना डॉक्टर को किसने दी..?
सूत्रों का सनसनीखेज खुलासा और उठते सवाल-विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, डॉ. सलीम खान , जो कि केवल बीएचएमएस (होम्योपैथिक) डिग्रीधारी हैं, उनके क्लीनिक में निम्न गंभीर और आपराधिक गतिविधियां संचालित हो रही थीं..!
1-क्या मंसूरी क्लीनिक पर संचालित हो रहा था अवैध रूप से गर्भपात कराना, बिना किसी अधिकृत व्यवस्था या महिला डॉक्टर की मौजूदगी के..?
2-क्या मंसूरी क्लीनिक पर गर्भपात की दवाइयों की बिक्री, जिन पर स्पष्ट रूप से डॉक्टर की पर्ची और लायसेंस जरूरी होता है वह बेचीं जा रही है.?
3-क्या जन मानस को हानि पहुंचने वाले इंजेक्शन ऐविल, स्टेरॉयड जैसे हार्मोनल इंजेक्शन का अवैध और अनाधिकृत उपयोग किया जा रहा था..?
4-क्या मंसूरी क्लीनिक पर शेड्यूल एच और एचसी जैसी गंभीर प्रतिबंधित दवाएं, बिना बिल, पर्चे और रजिस्ट्रेशन के बेचे जा रहे थे..?
यह सभी गतिविधियां ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट, पीसीपीएनडीटी एक्ट, और इंडियन पीनल कोड (आईपीसी) की कई धाराओं के अंतर्गत गंभीर अपराध की श्रेणी में आती हैं।
विभाग की जांच बन गई मज़ाक
जैसे ही स्वास्थ्य विभाग की टीम ने क्लीनिक पर दबिश दी, मंसूरी क्लिनिक पर ताला लटका मिला। डॉक्टर मौके से फरार था, जिससे यह साफ़ होता है कि उसे पूर्व सूचना दे दी गई थी। सवाल यह भी है क्या विभाग के भीतर से किसी ने सूचना लीक की। क्या यह संपूर्ण जांच प्रक्रिया सिर्फ औपचारिकता भर थी? इतनी गंभीर गतिविधियों के बावजूद अब तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई। क्लीनिक सील नहीं किया गया, और न ही मेडिकल स्टोर पर छापा पड़ा। क्या यह साबित नहीं करता कि सिस्टम की कोई न कोई कड़ी इस खेल में शामिल है। स्थानीय निवासियों के अनुसार, कई बार उन्होंने रात में मरीजों को चुपचाप लाते और ले जाते हुए देखा है। यहां तक कह डाला कि, कहीं यहां पर महिलाओं और युवतियों को बिना रजिस्ट्रेशन व जांच के गर्भपात की दवाएं तो नहीं दी जा रही है।
क्या कहते हैं कानून
एलोपैथिक इलाज केवल एमबीबीएस, एमडी डॉक्टर ही कर सकते हैं। बीएचएमएस डॉक्टर को इसकी अनुमति नहीं। गर्भपात बिना मान्यता प्राप्त केंद्र, योग्य डॉक्टर और महिला चिकित्सा स्टाफ के पूर्णत: अवैध है। शेड्यूल एच, एचवी दवाएं बिना लायसेंस और रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट के बेचना आपराधिक अपराध है। क्यों नहीं हो रही डॉ. सलीम खान पर बड़ी कार्रवाई। क्यों इनाया मेडिकल स्टोर की ड्रग लायसेंस और रजिस्ट्रेशन की जांच नहीं हुई। क्या यह सब प्रशासन और राजनीतिक संरक्षण में हो रहा है? आपको बता दें कि शहर में अनेक मेडिकल स्टोर ऐसे भी हैं जो कि मरीज को दवाई बिना पर्चे के ही दे देते हैं और जब मरीज की तबीयत बिगड़ जाती है तो दवाई यहां से ली गयी इसको लेकर मना कर दिया जाता है। ऐसे मेडिकल स्टोरों पर भी कार्रवाई की जाना चाहिए।
इनका कहना है
एसडीएम के निर्देश पर हम मंसूरी क्लीनिक पर जांच के लिए पहुंचे, लेकिन जब हम वहां गए तो क्लीनिक बंद पाया गया जिसके हमने फुटेज भी लिए हैं। हम फिर जाएंगे जब भी मिलेगा, गलत पाए जाने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाइए।
-अनिल कंडारदिया, ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर