Sunday, December 3, 2023
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भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने से पहले जान लें ये जरुरी बातें

बेलपत्र भगवान शिव को सबसे ज्यादा प्रिय होता है। शास्त्रों में शिवलिंग पर बेलपत्र को चढ़ाने के बारे में कई नियम बताए गए हैं जिसे हर एक शिव भक्त को जरूर मालूम होना चाहिए। शिव साधना और आराधना का महापर्व सावन का महीना आज से शुरू हो गया है। यह सावन का महीना बहुत ही खास रहने वाला है क्योंकि 19 वर्षों के बाद सावन का महीना दो माह तक रहेगा। साथ ही सावन के महीने में कुल 8 सावन सोमवार है

सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा उपासना और इस माह में पडऩे वाले सभी सोमवार में जो भी शिव भक्त सच्चे मन से भोलेनाथ की आराधना करता है उसकी सभी तरह की मनोकामनाएं जल्दी ही पूरी हो जाती है। श्रावण का माह भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना होता है। सावन में शिवलिंग पर जल चढ़ाने और भोलेनाथ की प्रिय चीजों को अर्पित करने पर सभी तरह के कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि और हर तरह की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

भगवान शिव को सावन के महीने में उनकी सबसे प्रिय चीज बेलपत्र जरूर अर्पित किया जाता है। बेलपत्र भगवान शिव को सबसे ज्यादा प्रिय होता है। शास्त्रों में शिवलिंग पर बेलपत्र को चढ़ाने के बारे में कई नियम बताए गए हैं जिसे हर एक शिव भक्त को जरूर मालूम होना चाहिए। आइए जानते हैं शिवलिंग पर कैसे बेलपत्र चढ़ाना चाहिए।

शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने के नियम

ऐसे बेलपत्र न चढ़ाएं : बेलपत्र को भगवान शिव को अर्पित करने से पहले यह जरूर देख लेना चाहिए कि यह कही से भी कटा-फटा नहीं होना चाहिए। बेलपत्र की तीन पत्तियां ही भगवान शिव को चढ़ती है। खंडित बेलपत्र भगवन शिव को नहीं चढ़ाया जाना है

कितनी संख्या में चढ़ाएं बेलपत्र : वैसे तो भगवान शिव मात्र एक लोटा जल और एक बेलपत्र चढ़ाने से ही जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन सावन के महीने में बेलपत्र आसानी से मिल जाता है ऐसे में आप शिवलिंग पर 11,21,51 और 101 बेलपत्र को चढ़ा सकते हैं।

बेलपत्र कैसे चढ़ाना चाहिए : भगवान शिव को हमेशा उल्टा बेलपत्र यानी चिकनी सतह की तरफ वाला वाला भाग स्पर्श कराते हुए ही बेलपत्र चढ़ाएं।बेलपत्र को हमेशा अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से चढ़ाएं। मध्य वाली पत्ती को पकड़कर शिवजी को अर्पित करें।

बेलपत्र कब तोड़ें : कुछ तिथियों को बेलपत्र तोडऩा वर्जित होता है। जैसे कि चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या को, संक्रांति के समय और सोमवार को बेल पत्र नहीं तोडऩा चाहिए। ऐसे में पूजा से एक दिन पूर्व ही बेल पत्र तोड़कर रख लिया जाता है। बेलपत्र कभी अशुद्ध नहीं होता। पहले से चढ़ाया हुआ बेलपत्र भी फिर से धोकर चढ़ाया जा सकता है। शिव जी को कभी भी सिर्फ बिल्वपत्र अर्पण नहीं करें,बेलपत्र के साथ जल की धारा जरूर चढ़ाएं।

बिल्वपत्र के प्रकार : बिल्वपत्र के भी कुछ प्रकार होते हैं। सामान्यत: तीन पत्तियों वाले बिल्वपत्र पाए जाते हैं और शिवजी को यही समर्पित किए जाते हैं। तीन पत्तियों से अधिक पत्ते वाले बेलपत्र अत्यन्त पवित्र माने जाते हैं। चार पत्ती वाला बिल्वपत्र को ब्रह्मा का स्वरूप माना जाता है। जबकि पांच पत्ती वाले बिल्वपत्र को शिव स्वरूप माना जाता है। छह से लेकर इक्कीस पत्तियों वाले बिल्वपत्र मुख्यत: नेपाल में मिलते हैं। इनका प्राप्त होना तो अत्यन्त ही दुर्लभ माना जाता है

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