बच्चों की परवरिश में क्यों अहम रोल पापा है का ? जानें

आजकल का जमाना बदल चुका है. पहले पिता को सिर्फ कमाने-खिलाने की जिम्मेदारी मान लिया जाता था, लेकिन अब वक्त आ गया है कि पापा बच्चों के हर छोटे-बड़े फैसले में शामिल हों. उनके साथ खेलें, बातें करें और सही-गलत का फर्क समझाएं. बच्चों की सोच और आदतें उसी हिसाब से बनती हैं, जैसे वे अपने माता-पिता को देखते हैं. इसलिए पापा का रोल सिर्फ “कमाने वाले” तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि बच्चों की परवरिश में भी उतना ही अहम होना चाहिए.
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ईमानदारी और सच्चाई की सीख-
बच्चों को हमेशा सिखाएं कि झूठ बोलकर कभी फायदा नहीं होता. पापा अगर खुद ईमानदारी से जीते हैं और बच्चों को यही बताते हैं कि सच बोलना कितना जरूरी है, तो बच्चा भी वही अपनाएगा.
सम्मान करना सीखाना-
पिता बच्चों को दूसरों का सम्मान करना सिखाएं. चाहे घर में मां हो, दादी-दादा हों या बाहर के लोग, अगर बच्चा देखेगा कि पापा सबके साथ इज्जत से पेश आते हैं, तो वही आदत उनमें भी आ जाएगी.
आत्मनिर्भर बनना-
हर पिता का फर्ज है कि बच्चों को आत्मनिर्भर बनाना सिखाए. छोटी-छोटी चीजें खुद करना, अपनी जिम्मेदारी समझना और मेहनत करना, ये सब पापा की सीख से बच्चे जल्दी सीखते हैं.
गलतियों से सीखना-
बच्चों से गलती होना लाजमी है. ऐसे में पापा का काम है उन्हें डांटने की बजाय समझाना कि गलती करने से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उनसे सीखकर आगे बढ़ना चाहिए.
जिंदगी की चुनौतियों से लड़ना-
पापा बच्चों को सिखा सकते हैं कि जिंदगी हमेशा आसान नहीं होती. मुश्किलें आती हैं, लेकिन उनका सामना करना ही असली जीत है. अगर पापा खुद हिम्मत और धैर्य से मुश्किलों को पार करते हैं, तो बच्चा भी वही ताकत अपने अंदर लाएगा.
प्यार और रिश्तों की अहमियत-
पिता को बच्चों को ये जरूर सिखाना चाहिए कि परिवार और रिश्ते कितने जरूरी हैं. प्यार से जुड़ना, एक-दूसरे का ख्याल रखना और अपनों के लिए समय निकालना, ये बातें बच्चों की पूरी जिंदगी को खूबसूरत बना देती हैं.