प्रतिबंध के पालन में प्रशासन की दोहरी नीति, 6 माह में एक पर भी कार्रवाई नहीं
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन प्रदेश सरकार ने ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए लगभग ६ माह पहले अपनी पहली ही केबिनेट में ध्वनि विस्तारक यंत्रों के अधिक उपयोग पर रोक लगा दी। इसके बाद प्रशासन ने ताबड़तोड़ धार्मिक और सार्वजनिक स्थानों से लाउड स्पीकर हटाने की कार्रवाई की। सरकार ने प्रतिबंध तो धूमधड़ाके, बेहद तेज आवाज के कान फोडऩे वाले डीजे पर भी लगाया था,लेकिन प्रशासन का इस पर ध्यान ही नहीं है।
शहर में डीजे का उपयोग जमकर हो रहा है। प्रतिबंध के बावजूद इनकी कानफाड़ू आवाज गूंजती है। यह स्वास्थ्य संस्कृति और पर्यावरण तीनों के लिए घातक है, लेकिन प्रशासन इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। शादी-ब्याह के अलावा कोई भी सामाजिक,धार्मिक और राजनीतिक कार्यक्रम हो धूमधड़ाके, बेहद तेज आवाज के कान फोडऩे वाले डीजे का उपयोग होता ही है। डीजे की तेज आवाज ऐसी होती है कि घरों की दीवारें,बर्तन और कांच कंपन करने लगते है। डीजे के आसपास से निकलने पर शरीर कंपन करने लगता है।
प्रशासनिक उदासीनता
शहर में धड़ल्ले से डीजे का इस्तेमाल हो रहा है। इनकी कानफाड़ू आवाज स्वास्थ्य के साथ पर्यावरण पर भी बुरा असर डाल रही है। प्रतिबंध के बावजूद इनका शोर कम नहीं हो रहा। आम जन पीडि़त होते हुए भी इस लिए आवाज नहीं उठा पाते कि समाज का मामला है। प्रशासनिक उदासीनता का आलम यह है कि सरकार के आदेश का पालन नहीं हो रहा है। अनेक समारोह में ट्रैक्टर ट्रॉली, पिकअप वैन आदि पर बड़े-बड़े साउंड बॉक्स और साउंड सिस्टम लगाकर तेज आवाज में दिन और रात गाने बजाए जा रहे हैं। डीजे धुन पर थोड़े से लोग खुशी में झूमते नजर आते हैं लेकिन दूसरों के लिए यह कष्टकारक होता है। सुनने की क्षमता इससे प्रभावित होती है। खासकर हृदय रोगियों के लिए यह बहुत पीड़ादायक है।
डीजे से 120-130 डेसीबल का शोर
डीजे की तेज आवाज बीमार लोगों के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। खासतौर से कमजोर दिल वाले, हृदयरोगियों के लिए डीजे की तेज आवाज जानलेवा साबित हो सकती है। डीजे की तेज आवाज पर प्रतिबंद के बाद भी इस पर अंकुश नहीं लगाया जा सका है। डीजे से 120-130 डेसीबल तक शोर पैदा होती है जो खतरनाक ध्वनि प्रदूषण की श्रेणी में आती है। इस दौरान ध्वनि में कंपन बेहद अधिक बढ़ जाती है। यही कंपन हृदयरोगियों के लिए जानलेवा होती है। डीजे से एक सामान्य मनुष्य के हृदय की धड़कन काफी तेज हो जाती है, तो गंभीर बीमारी से पीडि़त मरीजों हालत क्या होगी। इसका सहजता से अनुमान लगाया जा सकता है।